सरकारी दावों के बावजूद ‘बेरोजगारी के फैल रहे भयावह पंजे’

punjabkesari.in Tuesday, Jul 18, 2017 - 10:08 PM (IST)

देश में लगातार बेरोजगारी बढ़ रही है। वर्ष 2011-12 में इसकी वृद्धि दर 3.8 प्रतिशत, 2012-13 में 4.7 और 2013-14 में 4.9 थी जो 2015-16 में बढ़ कर 5 प्रतिशत हो गई है। यह बेरोजगारी का पिछले पांच वर्षों का सर्वोच्च स्तर था और अभी भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। 

2015 में उत्तर प्रदेश सचिवालय में लेखापालों व चपड़ासियों के 13,684 पदों के लिए 50 लाख आवेदकों में 2 लाख से अधिक आवेदक न्यूनतम वांछित योग्यता से अधिक योग्यता प्राप्त पी.एच-डी., स्नातक आदि थे। वर्ष 2016 में भटिंडा कचहरी में आठवीं कक्षा उत्तीर्ण शैक्षिक योग्यता वाले चपड़ासी के 18 पदों के लिए आवेदन करने वाले लगभग 8000 युवकों में 50 बी.टैक थे तथा कुछ अन्य उम्मीदवार एम.फिल कर चुके थे। बेरोजगारी का यह सिलसिला अभी भी लगातार जारी है और कम योग्यता वाले पदों के लिए कहीं ऊंची योग्यता वाले उम्मीदवारों द्वारा आवेदन करने के उदाहरण निरंतर सामने आ रहे हैं। 

इसी वर्ष जून में हरियाणा स्थित महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की ओर से विज्ञापित चपड़ासियों के 92 पदों के लिए 22,000 आवेदन पत्र प्राप्त हुए। 8वीं क्लास उत्तीर्ण वांछित योग्यता वाले इन पदों के लिए आवेदकों में उच्च योग्यता प्राप्त एम.बी.ए., बी.एड., जे.बी.टी. और एम.ए. उम्मीदवार भी शामिल थे। एक उम्मीदवार ने बी.फार्मेसी का कोर्स भी कर रखा था। इसी मास मैसूर में ‘बैकवर्ड कम्युनिटी होस्टलों’ के लिए 58 कुकों और 92 असिस्टैंट कुकों तथा सोशल वैल्फेयर सोसायटी के होस्टलों में 32 कुकों की भर्ती के लिए विज्ञापन दिया गया। ग्रुप डी के इस पद के लिए न्यूनतम योग्यता हाई स्कूल उत्तीर्ण रखी गई थी परंतु आवेदकों और लिखित परीक्षा में बैठने वालों में उम्मीदवारों की 70 प्रतिशत बहुसंख्या वांछित योग्यता से कहीं अधिक उच्च शिक्षित थी जिनमें 5 इंजीनियर, 40 पोस्ट ग्रैजुएट व 70 ग्रैजुएट उम्मीदवार थे। 

जुलाई महीने में बंगाल के मालदा मैडीकल कालेज में ‘लैबोरेटरी अटैंडैंट’ की ग्रुप डी की 2 आसामियों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए। इनके लिए आवेदन करने वाले 300 से अधिक उम्मीदवारों में हर तीसरा उम्मीदवार स्नातक से अधिक शिक्षा प्राप्त था। इनमें एम.फिल डिग्रीधारी,  पी.एच-डी. छात्र और डबल एम.ए. कर चुके उम्मीदवार शामिल थे। गत 7 जुलाई को कालेज के प्रबंधकों ने आवेदन पत्रों का पुङ्क्षलदा खोला तो वे उच्च शिक्षितों के आवेदन देख कर स्तब्ध रह गए। पहले तो उन्हें लगा कि उन्होंने कोई गलत पैकेट खोल लिया है और ये आवेदन पत्र किसी अन्य पद के लिए हैं परंतु जल्दी ही वे जान गए कि उन्होंने गलत पैकेट नहीं खोला  था बल्कि ये आवेदन पत्र ग्रुप डी की दो आसामियों के लिए ही थे। 

ग्रुप डी के इन पदों में अन्य कामों के अलावा कालेज में मैडीकल के छात्रों के लिए लगाई जाने वाली एनाटोमी (शरीर रचना विज्ञान) की कक्षाओं के लिए लाशों और उनके कटे-फटे अंगों को संभालना भी शामिल है। स्वतंत्रता के 70 वर्ष बाद भी लोगों को उनकी योग्यता के अनुरूप नौकरी न मिल पाना एक अभिशाप और हमारी शासन प्रणाली की विफलता ही माना जाएगा। अनेक दुर्भाग्यशाली युवा तो ऐसे भी हैं जो दर्जनों बार विभिन्न पदों के लिए आवेदन करने के बावजूद नौकरी के लिए तरसते ही रह गए। इससे यह स्पष्टï है कि देश में सरकार के तमाम दावों के बावजूद बेरोजगारी की समस्या किस कदर गंभीर हो चुकी है जिससे उनमें हताशा और निराशा भी पैदा हो रही है। वैसे तो कोई भी काम छोटा नहीं होता परंतु यदि उच्च योग्यता प्राप्त लोगों को कम योग्यता वाले पदों पर काम करने के लिए विवश होना पड़े तो समझा जा सकता है कि स्थिति कितनी गंभीर है। 

यह समस्या समूचे देश की है जिससे बचने के लिए देश में चीनी सामान की आमद की वजह से ठप्प हो चुके छोटे उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए देश में चीनी सामान के आयात पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाए और इसके साथ ही युवाओं को छोटे उद्योग लगाने के लिए आॢथक सहायता देकर स्वरोजगार अपनाने हेतु प्रेरित करने की अत्यधिक आवश्यकता है। यदि युवाओं को उनकी योग्यता के अनुरूप नौकरी न मिलने का सिलसिला इसी तरह चलता रहा तो कहीं ऐसा न हो कि वे अपना सही रास्ता छोड़ कर अपराधों की डगर पर ही चल पड़ें। —विजय कुमार 


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