सड़कों में गड्ढों के कारण देश में हो रही लगातार मौतें

punjabkesari.in Wednesday, Jan 29, 2020 - 12:32 AM (IST)

भारत को विश्व में सड़क दुर्घटनाओं की राजधानी कहा जाने लगा है और इन दुर्घटनाओं में सड़कों पर पड़े गड्ढों बड़ी भूमिका निभाते हैं। गत 5 वर्षों में सड़कों के गड्ढïों से दुर्घटनाओं में 15,000 से अधिक लोग मारे गए। 6 दिसम्बर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा, ‘‘यह आंकड़ा सीमा पर आतंकी हमले में मरने वालों से भी अधिक है। यह इस बात का गवाह है कि सड़कों का रख-रखाव सही ढंग से नहीं हो रहा है जो स्वीकार्य नहीं है।’’‘‘सड़कों के रख-रखाव की जिन पर जिम्मेदारी है वे अपना काम सही ढंग से नहीं कर रहे हैं चाहे वे नगर निगम हों, राज्य सरकारें हों या राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण हो। सड़कों में पड़े गड्ढों की मुरम्मत की कोई नीति भी नहीं है।’’ 

सड़कों के गड्ढों की मुरम्मत के प्रति संबंधित विभागों की उदासीनता को देखते हुए देश में कुछ स्थानों पर ऐसी दुर्घटनाओं के पीड़ितों ने अपने साथियों की मदद से इनके विरुद्ध अभियान शुरू कर रखा है। ऐसे लोगों में एक दुर्घटना में कुछ वर्ष पूर्व अपने 3 वर्षीय मासूम बेटे को खोने वाले फरीदाबाद के टैलीकॉम इंजीनियर श्री मनोज वधवा भी हैं जो भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और एक निजी निर्माण कंपनी के विरुद्ध गड्ढों के कारण हुई अपने बेटे की मौत की जिम्मेदारी निर्धारित करवाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ते आ रहे हैं। 

इसके साथ ही उन्होंने बाकायदा प्रशिक्षण लेकर सड़कों के गड्ढों भरना भी शुरू कर रखा है। इसी सिलसिले में उन्होंने 26 जनवरी को फरीदाबाद की सड़कों के गड्ढों भर कर सरकार की उदासीनता के प्रति आक्रोश व्यक्त किया। श्री वधवा का कहना है कि यदि हम कुछ गिने-चुने लोग सड़कों के गड्ढों भर सकते हैं तो फिर सरकारी एजैंसियां और ठेकेदार अपने तमाम संसाधनों के बावजूद ऐसा क्यों नहीं कर सकते? श्री वधवा और उनके साथियों का यह पग संबंधित विभागों और उनके अधिकारियों के मुंह पर बड़ा तमाचा है। लिहाजा सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए सड़कों के गड्ढों भरने के लिए उचित पग उठाने चाहिएं ताकि इनसे होने वाली दुर्घटनाओं से परिवार तबाह न हों।—विजय कुमार


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