चीन में अल्पसंख्यक मुसलमानों की युवा पीढ़ी को धर्म से दूर करने की साजिश

punjabkesari.in Monday, Dec 30, 2019 - 12:39 AM (IST)

वर्ष 2019 के समापन तक आते-आते जहां सभी देशों की पत्र-पत्रिकाएं यह लेखा-जोखा लगाने में व्यस्त हैं कि कौन-सा देश आर्थिक तौर पर आगे बढ़ा या पिछड़ा है और कहां शांति और कहां अशांति है, वहीं चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी 2 दिवसीय बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ‘जन नेता’ (remin lingxiu) की नई उपाधि से नवाजा है। यह उपाधि उनसे पूर्व चीन के मात्र 2 नेताओं माओ तथा डेंग स्याओ पिंग को ही प्रदान की गई थी। 

ऐसा नहीं है कि इस उपाधि से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो में शी की राजनीतिक या आर्थिक शक्ति बढ़ जाएगी बल्कि यह ऐसी उपाधि है जिससे उनका सामाजिक एवं राजनीतिक रुतबा बढ़ेगा और उनके विरुद्ध पार्टी में उठने वाली आवाजें, यदि कोई हैं तो, वे भी दब जाएंगी। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय प्रैस ने शी जिनपिंग की चीन में रहने वाले मुस्लिम अल्पसंख्यकों और हांगकांग के प्रदर्शनकारियों का राजनीतिक दमन करने की निंदा की है। 

उल्लेखनीय है कि चीन में रहने वाले लगभग 10 लाख अल्पसंख्यक उइगर, कजाक तथा अन्य मुसलमानों की धर्म के प्रति आस्था कमजोर करने के लिए उन्हें पिछले 3 वर्षों के दौरान शिन जियांग में विभिन्न यातना शिविरों एवं बंदी शिविरों में कैदी बना कर भेज दिया गया है। विश्व भर में विरोध होने के बावजूद चीन अपनी इस नीति पर कायम है तथा उसने अब इन क्षेत्रों के बच्चों को भी अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है और लगभग 5 लाख बच्चों को उनके परिवारों से अलग करके बोॄडग स्कूलों में भेज दिया गया है। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने शिन जियांग के 800 से अधिक नगरों में से प्रत्येक नगर में अगले वर्ष के अंत तक ऐसे 1 से 2 तक स्कूल कायम करने का फैसला किया है। पार्टी ने इसके लिए तर्क यह दिया है कि इन बच्चों के माता-पिता सदूरवर्ती क्षेत्रों में काम करने के लिए गए हुए हैं, यह पग बच्चों की पढ़ाई आसान करने के लिए उठाया गया है। 

हालांकि मुस्लिम परिवार भी चाहते हैं कि वे अपने बच्चों को स्कूलों में भेजें परंतु ये स्कूल जहां बाहरी लोगों की पहुंच से दूर हैं और इन पर कड़ा पहरा है और न ही वहां इनसे किसी को मिलने की इजाजत है वहीं ये इस प्रकार तैयार किए गए हैं कि यहां इन बच्चों को अपने परिवारों के प्रभाव से दूर करके उन्हें धर्म से विमुख किया जा सके।

वाशिंगटन स्थित संस्था ‘विक्टिम्स आफ कम्युनिज्म मैमोरियल फाऊंडेशन’ के एक शोधकत्र्ता आंद्रियान जेंज के अनुसार चीन की इस दीर्घकालिक रणनीति का उद्देश्य युवा पीढ़ी को शुरू से ही अपने प्रभाव में लाकर उसका दिल जीतना है। इस मकसद को पूरा करने के लिए ही चीन में उइगर शिक्षाविदें को कैद कर लिया गया है और उइगर अध्यापकों को चेतावनी दी गई है कि विरोध करने पर उन्हें जेल भेज दिया जाएगा। अब शी जिनपिंग की यह नई उपाधि और उनकी नई रणनीति चीन के अल्पसंख्यक मुसलमानों और हांगकांग के प्रदर्शनकारियों को कितना शांत कर पाती है यह भविष्य के गर्भ में है। 


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