सरकार द्वारा : मंदी से बचाने के लिए कार्पोरेट जगत व नए यूनिटों को रियायतें

punjabkesari.in Saturday, Sep 21, 2019 - 01:27 AM (IST)

समूचे विश्व के साथ-साथ इस समय भारत भी जी.डी.पी. में गिरावट और अन्य कारणों से आॢथक मंदी की लपेट में आया हुआ है जिससे बड़ी संख्या में बेरोजगारी व अन्य समस्याओं में वृद्धि हुई है। 

इसी पृष्ठïभूमि में कार्पोरेट जगत द्वारा टैक्स में राहत और अन्य सुविधाओं की चिरकालिक मांग को देखते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री ने कार्पोरेट जगत के लिए 20 सितम्बर को राहतों की एक और किस्त की घोषणा कर दी है। इससे शेयर बाजारों में एक दशक में सबसे बड़ी एक ‘दिनी’ बढ़त दर्ज की गई व बॉम्बे शेयर बाजार के सैंसेक्स तथा नैशनल स्टाक एक्सचेंज के निफ्टी में उछाल आ गया और भारतीय अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने की आशा बंधी है। 

गोवा में हो रही जी.एस.टी. परिषद की बैठक से पहले, नर्म पड़ रही अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने तथा रोजगार के नए अवसर सृजित करने के उद्देश्य से उद्योग और व्यवसाय के लिए की गई एक दर्जन बड़ी घोषणाओं में एक अध्यादेश लाकर घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग कम्पनियों के लिए कार्पोरेट टैक्स कम करने के प्रस्ताव के अलावा कैपिटल गेन टैक्स से सरचार्ज हटाना आदि भी शामिल है। दी गई रियायतों के अनुसार कार्पोरेट टैक्स की दर को लगभग 34.94 प्रतिशत से कम करके 22 प्रतिशत कर दिया गया है। इस पर सैस मिलाकर अब कम्पनियों को 25.17 प्रतिशत टैक्स देना पड़ेगा। 

इसके साथ ही सरकार ने 1 अक्तूबर के बाद लगने वाली मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए टैक्स हॉलीडे का ऐलान किया है और नए यूनिट्स पर कार्पोरेट टैक्स की दर 15 प्रतिशत कर दी है। सैस मिलाकर नए यूनिट्स को 31 मार्च, 2023 तक 17.01 प्रतिशत कार्पोरेट टैक्स देना होगा। वित्त मंत्री द्वारा टैक्स में की गई कटौती 1 अपै्रल, 2019 से ही लागू की गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार कार्पोरेट टैक्स की दर घटने से सरकार के राजस्व में वार्षिक 1.45 लाख करोड़ रुपए की कमी का अनुमान है परंतु कर छूट से ‘मेक इन इंडिया’ में निवेश आएगा, रोजगार सृजन और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने से राजस्व बढ़ेगा। आशा करनी चाहिए कि सरकार द्वारा दी गई इन रियायतों से उद्योगों को मंदी के दौर से निकालने में सहायता मिलेगी और देश में नए रोजगार के अवसरों के सृजन में सहायता मिलेगी।—विजय कुमार 


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