क्या हम परीक्षाओं में नकल को नहीं रोक सकते?

punjabkesari.in Monday, Mar 20, 2023 - 05:43 AM (IST)

भारत में बार-बार परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आती जा रही हैं। बड़े स्तर पर परीक्षाओं में नकल का सिलसिला 2014-15 में बिहार में शुरू हुआ। इससे पहले दुनिया में कहीं भी इतने बड़े स्तर पर परीक्षाओं में नकल के मामले सामने नहीं आए थे जिसकी दुनिया भर की अखबारों में चर्चा हुई थी। वहां से शुरू हुए इस सिलसिले के बाद तो परीक्षाओं में भारी रकमों के बदले में बाकायदा नकल करवाने वाले माफिया कायम हो गए हैं।

इनमें शिक्षा संस्थानों के प्रिंसीपल, अध्यापक तथा परीक्षाओं के संचालन से जुड़े अन्य लोग शामिल पाए जा रहे हैं। इन लोगों ने परीक्षाओं में नकल करवाने का एक सिस्टम बना रखा है जिसके बदले में वे भारी रकमें वसूल करते हैं। पहले तो केवल बिहार या उत्तर प्रदेश आदि चंद राज्यों में ही परीक्षाओं में नकल के मामले सुनाई देते थे परंतु अब तो यह बुराई समूचे देश में फैल चुकी है। यहां तक कि प्रतियोगी परीक्षाओं में भी यह बुराई पहुंच गई है।

16 मार्च को तेलंगाना राज्य लोक सेवा आयोग (टी.एस.पी.एस.सी.) ने पेपर लीक स्कैंडल सामने आने के बाद ग्रुप-1, मंडलीय लेखाधिकारी (डी.ए.ओ.) तथा सहायक कार्यपालक अभियंता (ए.ई.ई.) परीक्षाओं  को रद्द कर दिया गया। अब ग्रुप-1 प्रारंभिक परीक्षा 11 जून को आयोजित की जाएगी तथा अन्य  2 परीक्षाओं की तिथियां बाद में घोषित की जाएंगी। उक्त पेपर लीक स्कैंडल टी.एस.पी.एस.सी. के कर्मचारी प्रवीण की गिरफ्तारी के बाद सामने आया, जिसने कथित तौर पर ए.ई.ई. का पेपर पैसे के लिए लीक किया था और इसे रेणुका नाम की लड़की को बेचा गया था। उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया है और पूछताछ के दौरान रेणुका ने बताया कि उसने  पेपर को आगे 10-10 लाख रुपए में अपने 2 परिचितों को बेच दिया।

इसी प्रकार 13 मार्च को होने वाली 10वीं कक्षा के सामान्य ज्ञान और असमिया भाषा के प्रश्नपत्र लीक मामले में असम पुलिस ने 2 सूत्रधारों को गिरफ्तार किया है। सैकेंडरी एजुकेशन बोर्ड असम (एस.ई.आर.ए.) ने पेपर लीक होने के बाद विज्ञान की परीक्षा की तिथि पुन: तय की है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व सभी एम.आई.एल. (प्रमुख भारतीय भाषाएं) प्रश्नपत्र भी लीक हो जाने के कारण दोबारा तय किए गए थे क्योंकि प्रणव दत्ता नामक एक शिक्षक ने यह स्वीकार किया था कि असमिया प्रश्रपत्र भी लीक हुए थे।  इस संबंध में राज्य पुलिस महानिदेशक जी.पी. सिंह के अनुसार इस मामले में 14 वयस्कों सहित 27 लोग गिरफ्तार किए गए हैं।

ये तो मात्र 2 राज्यों के उदाहरण हैं इसके अलावा अभी हाल-फिलहाल में ही पंजाब, हिमाचल आदि राज्यों की प्रतियोगी परीक्षाओं सहित विभिन्न कक्षाओं की परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक हो चुके हैं। हमारी सबसे बड़ी लगभग 26 करोड़ जनसंख्या 16 से 19 वर्ष आयु के बीच की विभिन्न कक्षाओं, बोर्डों और प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले बच्चों और किशोरों की है। एक तो इन बच्चों और किशोरों पर अभिभावकों द्वारा बहुत अधिक अपेक्षाएं होने के कारण पहले ही तनाव बहुत अधिक है। दूसरे कालेज कम होने के कारण बच्चों को ङ्क्षचता रहती  है कि उन्हें कालेज में दाखिला मिल भी पाएगा या नहीं।

अत: इस समस्या का निराकरण करने के लिए देश की शिक्षा प्रणाली को अपग्रेड करने तथा अधिक स्कूल और कालेज खोलने की आवश्यकता है। अध्यापकों की कमी और एक-एक कक्षा में 40-40, 60-60 बच्चों के कारण अध्यापक सभी बच्चों पर समान रूप से ध्यान ही नहीं दे पाते। यदि सबके लिए कालेज होंगे तो छात्रों को दाखिले में समस्या का सामना करने की चिंता नहीं रहेगी और वे तनावमुक्त होंगे तथा अध्यापक भी कक्षाओं में छात्रों की कम संख्या होने के कारण उन पर अधिक ध्यान दे पाएंगे।

सबसे बड़ी बात यह है कि हमारा सारा ध्यान इस बात पर आधारित है कि कोई छात्र परीक्षा में कितने अंक प्राप्त करता है। हमारा इस पर ध्यान नहीं है कि उसकी समझ और ज्ञान कितना है। जरूरी नहीं है कि स्कूल में अच्छे अंक प्राप्त करने वाला छात्र बाद के जीवन में सफल हो जाएगा। यही कारण है कि हमारी शिक्षा प्रणाली आज ज्ञान आधारित न रह कर रट्टïा मारने वाली रह गई है और इसी कारण परीक्षाओं में नकल हो रही है।

इसलिए शिक्षाविदों के अनुसार परीक्षाओं में धोखाधड़ी रोकने का एक सशक्त तरीका यह है कि परीक्षाओं में पाठ्य पुस्तकों में दी गई तिथियों और तथ्यों से जुड़े प्रश्न पूछने के स्थान पर प्रश्नपत्रों में एप्लीकेशन आधारित व्यक्तिगत और ‘ज्ञान आधारित’ प्रश्न डाले जाएं। इसे रोकने के लिए परीक्षा केंद्रों में अधिक भरोसेमंद स्टाफ तैनात करने, सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने और परीक्षार्थियों के हाव-भाव पर पैनी नजर रखने की आवश्यकता है। 


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