पुलिस कर्मियों द्वारा ‘महिलाओं से दरिंदगी’ ‘खाकी हो रही दागदार’

punjabkesari.in Tuesday, Dec 05, 2023 - 05:12 AM (IST)

हालांकि पुलिस विभाग पर देशवासियों की सुरक्षा का जिम्मा होने के नाते इनसे अनुशासित और कत्र्तव्य परायण होने की ही अपेक्षा की जाती है, परन्तु आज देश में अनेक पुलिस कर्मचारी नारी जाति की गरिमा को तार-तार करके विभाग की बदनामी का कारण बन रहे हैं जिसके मात्र साढ़े तीन महीनों के चंद उदाहरण निम्न में दर्ज हैं : 

* 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की रात को बसवा (राजस्थान) थाना क्षेत्र के एक गांव में महेश गुज्जर नामक पुलिस कर्मचारी ने एक 30 वर्षीय महिला को गोली मारने की धमकी देकर उसके साथ बलात्कार कर डाला।
महिला के चिल्लाने पर आसपास के लोग जमा हो गए और उन्होंने महेश गुज्जर को रंगे हाथों पकड़ कर पहले तो चारपाई से बांध कर कई घंटों तक पीटा और फिर पुलिस के हवाले कर दिया।  
* 17 अक्तूबर को ओडिशा के मयूरभंज जिले के ‘जामदा’ पुलिस थाने में तैनात एक ए.एस.आई. तथा होमगार्ड को एक नाबालिग लड़की से बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। पीड़ित लड़की आरोपी ए.एस.आई. के घर में उसके 3 बच्चों को संभालने का काम करती थी। 

* 20 अक्तूबर को बिजनौर (उत्तर प्रदेश) में एक पुलिस चौकी के इंचार्ज सब इंस्पैक्टर धर्मेंद्र सिंह को एक 28 वर्षीय बलात्कार पीड़िता के मामले की जांच के दौरान उसे तंग करने और उससे सैक्स की मांग करने (सैक्सुअल फेवर) के आरोप में निलंबित किया गया। 
* 27 अक्तूबर को जबलपुर (मध्य प्रदेश) के सीहोर पुलिस थाने के इंचार्ज गिरीश धुर्वे ने बलात्कार के एक मामले की जांच के दौरान शिकायतकत्र्ता महिला से ही बलात्कार कर डाला, जिसके बाद पीडि़़ता की शिकायत पर गिरीश धुर्वे को निलंबित कर दिया गया। 
* 2 नवम्बर को सांगानेर (राजस्थान) में एक विवाहित पुलिस कांस्टेबल पर कोचिंग क्लास में पढऩे वाली छात्रा के साथ बलात्कार करने, न्यूड वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने और गर्भवती हो जाने पर उसे अस्पताल में भर्ती करवाकर वहां से फरार हो जाने का मामला दर्ज किया गया। 

* 10 नवम्बर को दौसा (राजस्थान) के ‘राहूवास’ गांव में चुनाव ड्यूटी पर भेजे गए एक सब इंस्पैक्टर भूपेंद्र सिंह ने एक कांस्टेबल की 4 वर्षीय मासूम पुत्री को फुसलाकर अपने कमरे में ले जाकर उसके साथ दरिंदगी कर डाली। 
बच्ची के माता-पिता को इसका पता चलते ही पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। आरोपी सब इंस्पैक्टर जो थाने के एक कमरे में छिप गया था, को लोगों ने खिड़की तोड़ कर बाहर निकाला और थाने से चौराहे तक घसीटते और पीटते हुए ले गए। 
पीड़ित बच्ची के परिजनों की शिकायत के आधार पर रिपोर्ट दर्ज करके आरोपी सब इंस्पैक्टर को निलम्बित करने के अलावा गिरफ्तार कर लिया गया है जिसे बाद में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। 
* 19 नवम्बर को कानपुर (उत्तर प्रदेश) में तैनात ‘प्रोविंशियल आम्र्ड कांस्टेबल्री’ (पी.ए.सी.) के एक कांस्टेबल योगेश कुमार को आगरा के एक बैंक्वेट हाल में एक महिला से बलात्कार करने, उसका वीडियो बनाने तथा उसे इंटरनैट पर डालने की धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 

* 29 नवम्बर को बहराइच (उत्तर प्रदेश) जिले में तैनात ‘प्रोविंशियल आम्र्ड कांस्टेबल्री’ (पी.ए.सी.) के ही एक अन्य कांस्टेबल को घर में अकेली और अपनी दूर की रिश्तेदार एक 20 वर्षीय युवती को नशीली वस्तु खिला कर उससे बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।  पीड़िता के अनुसार आरोपी ने उसे कमरे में बंद करके अंदर से कुंडी लगा ली। पीड़िता के चिल्लाने पर उसकी एक रिश्ते की बहन सहायता के लिए आई परंतु बार-बार दरवाजा पीटने के बावजूद कांस्टेबल ने दरवाजा नहीं खोला अंतत: पीड़िता के मां-बाप ने आकर बड़ी मुश्किल से दरवाजा खुलवाया। 

उक्त उदाहरणों को देखते हुए मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक ही है कि जिस पुलिस विभाग पर नारी जाति की सुरक्षा का जिम्मा है, आज उसी विभाग के चंद सदस्य अपने मार्ग से किस कदर भटक चुके हैं। अत: ऐसे पुलिस कर्मियों के विरुद्ध तेजी से कार्रवाई करके उन्हें शिक्षाप्रद दंड दिया जाना चाहिए, ताकि पुलिस विभाग में काम करने वालों को नसीहत मिले और इस बुराई पर रोक लग सके।—विजय कुमार


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