PNB महाघोटाला: जो काम कांग्रेस और विपक्षी दलों को करना था वह भाजपा नेता कर रहे हैं

punjabkesari.in Thursday, Feb 22, 2018 - 02:26 AM (IST)

8 नवम्बर, 2016 को देश में नोटबंदी और उसके बाद 1 जुलाई, 2017 को जी.एस.टी. लागू किए जाने के परिणामस्वरूप लोगों को होने वाली परेशानी अभी समाप्त भी नहीं हुई थी कि ‘पंजाब नैशनल बैंक’ के महाघोटाले ने देश की बैंकिंग प्रणाली पर प्रश्रचिन्ह लगा दिया है। लोगों को डर सता रहा है कि यदि बैंकों का पैसा घोटाले के कारण डूब जाए और बैंक दिवालिया हो जाएं तो उन्हें प्रति व्यक्ति एक लाख रुपया ही बैंकों से मिल सकता है। 

जहां बैंक घोटाले को लेकर लोगों में घबराहट का माहौल है वहीं कांग्रेस तथा अन्य विरोधी दल इस मामले को उतने सशक्त ढंग से नहीं उठा सके, जितनी उनसे उम्मीद की जाती थी। ऐसे में भाजपा के चंद वरिष्ठï नेताओं ने इसके विरुद्ध  जोरदार आवाज उठाई। पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने 17 फरवरी को कहा : 

‘‘आज ऋण के बोझ तले दबे किसान तो आत्महत्याएं कर रहे हैं जबकि व्यापारी सार्वजनिक बैंकों का पैसा लेकर विदेश भाग रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्वासन दिया था कि इस प्रकार के ऋण लोगों को नहीं दिए जाएंगे लेकिन सच्चाई इससे भिन्न है तथा देश को लूटने का रुझान अभी भी जारी है। किसान ऋण न चुका पाए तो उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाती है लेकिन करोड़ों रुपए लेकर विदेश भाग जाने वालों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।’’ सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने 19 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा है, ‘‘एक राष्ट्रीयकृत बैंक में अप्रत्यक्ष घोटाला और सरकार में सर्वोच्च पद पर बैठे लोगों में स्पष्ट रूप से जिम्मेदारी की कमी।’’ ‘‘इस समय देश में 3-पी (पकौड़ा, पी.एम. और पी.एन.बी.) पर हंगामा मचा है। हे प्रधान सेवक, प्रधान रक्षक, चौकीदार-ए-वतन, सभी धोखेबाज दिन-दिहाड़े फ्राड कर विदेश भाग गए। क्या यह नेहरू की गलती थी जिन्होंने एयरलाइंस को अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए लाइसैंस दिया?’’ 

उन्होंने 21 फरवरी को फिर कहा कि दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश और ‘आप’ विधायकों के विवाद पर शोर पी.एन.बी. फ्राड और नीरव मोदी के देश से भाग जाने के मामले में जनता का ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है। 20 फरवरी को वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा (पूर्व वित्त मंत्री) ने नरेंद्र मोदी सरकार से इस घोटाले के संबंध में 10 सवाल पूछते हुए कहा है, ‘‘इस घटना ने देश को हिला दिया है परंतु सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है।’’ ‘‘सरकार बता रही है कि नीरव मोदी ने 200 मुखौटा कंपनियां बनाई थीं जिनके जरिए लेन-देन था, तो फिर सरकार के इस दावे का क्या हुआ कि नोटबंदी के बाद ऐसी सारी फर्जी कंपनियां बंद हो गई हैं? क्या नीरव मोदी भी विजय माल्या की तरह इतिहास बन जाएंगे?’’ 

20 फरवरी को ही वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रह्मïण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाए और कहा कि ‘‘इस घोटाले पर सिर्फ अरुण जेतली ही नहीं, पूरा वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक बोर्ड में बैठने वाले बैंकिंग सैक्रेटरी...वित्त सचिव भी चुप हैं। पूरे मंत्रालय के चुप होने पर मुझे आश्चर्य है। सैक्रेटरी बैंकिंग की जानकारी के बिना यह सब नहीं हो सकता था।’’ इसी बीच अरुण जेतली ने नीरव मोदी का नाम लिए बगैर 20 फरवरी को चुप्पी तोड़ते हुए कहा है, ‘‘बैंकिंग प्रणाली के साथ धोखाधड़ी करने वाले धोखेबाजों को सरकार पकड़ कर रहेगी।’’ उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों के प्रबंधक तंत्र ने अपने दायित्वों को ठीक ढंग से नहीं निभाया और यह दोषी की पहचान करने में विफल रहा है। 

कुल मिलाकर जहां वित्त मंत्री ने बैंक महाघोटाले पर इतने दिनों के बाद अब चुप्पी तोड़ी है वहीं भाजपा के 4 वरिष्ठï नेताओं ने पार्टी नेतृत्व का ध्यान इस ओर दिलाया है। उन्होंने सशक्त ढंग से इस महाघोटाले के विरुद्ध आवाज उठाकर पार्टी को जागरूक ही किया है जिसके लिए पार्टी और देश को इनका आभार व्यक्त करना चाहिए। अत: भाजपा नेतृत्व अपने इन नेताओं की बातों को सकारात्मक रूप से ले और उन त्रुटियों को दूर करे जिनकी ओर इन्होंने इशारा किया है। इस समय जबकि पार्टी फिर केंद्र में सत्ता में आने के लिए प्रयत्नशील है, इस प्रकार की रचनात्मक आलोचना से पार्टी में व्याप्त कमियां दूर होंगी और यह सशक्त होगी और इससे देश और पार्टी दोनों को लाभ होगा।—विजय कुमार


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News