भारत-पाक के बीच मतभेद दूर करने के लिए पर्दे के पीछे बातचीत

punjabkesari.in Wednesday, Jun 01, 2022 - 04:22 AM (IST)

हाल ही में भारत ने विभिन्न देशों के साथ संबंध मजबूत करने के लिए चंद बड़े कदम उठाए हैं। इसी शृंखला में अपने निकट के पड़ोसियों में से घरेलू संकट में फंसे श्रीलंका को हरसंभव मदद पहुंचाई है और उसे पैट्रोल तथा दवाओं के अलावा खाद्यान्न भी भेज रहा है जिससे भारत को चीन के करीब जा रहे श्रीलंका को साधने में कुछ मदद मिल सकती है। इसी प्रकार हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए नेपाल दौरे के दौरान नेपाल सरकार के साथ 6 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं जिनमें वहां एक जलविद्युत परियोजना के लिए आर्थिक सहायता देना भी शामिल है। 

कोलकाता से बंगलादेश के ढाका के बीच चलने वाली 2 वर्ष से बंद पड़ीं  ‘मैत्री एक्सप्रैस’ तथा ‘बंधन एक्सप्रैस’ रेलगाडिय़ां 29 मई से दोबारा बहाल की गई हैं जिससे दोनों देशों के बीच आवागमन से संबंध मजबूत होंगे। इसके अलावा भारत ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ समझौते किए हैं तथा इंगलैंड के साथ भी व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया जा रहा है। भारत की मजबूत विदेश नीति के चलते ही यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों को वापस लाने में भी हमें मदद मिली। यदि भारत अपने निकटतम पड़ोसी पाकिस्तान के साथ रिश्ते सामान्य कर सके तो यह इस क्षेत्र में दोनों देशों की एक बड़ी उपलब्धि होगी। अब जबकि पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार के जाने के बाद शहबाज शरीफ सत्ता संभाल चुके हैं, एक बार फिर कुछ पाक क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच बंद पड़े व्यापार संबंध बहाल करने की मांग उठ रही है। 

इस सम्बन्ध में पाकिस्तान के दैनिक ‘एक्सप्रैस ट्रिब्यून’ ने दावा किया है कि ‘‘शहबाज शरीफ के पाकिस्तान की सत्ता संभालने से पहले ही दोनों देशों में पर्दे के पीछे वार्ता शुरू हो चुकी है। इसमें अमरीका तथा ब्रिटेन जैसे पश्चिमी देशों के अलावा संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे कुछ देशों का परामर्श भी बताया जाता है।’’ 

अखबार ने दोनों देशों के बीच बातचीत गोपनीय होने का दावा करते हुए लिखा है कि ‘‘भारत संकटग्रस्त पाकिस्तान के साथ पहले व्यापारिक संबंध बहाल करने में दिलचस्पी रखता है तथा उसे गेहूं निर्यात करना चाहता है। पाकिस्तान के लिए भी यह फायदे का सौदा होगा क्योंकि भारत से खरीदने के कारण यह इसे दूसरे देशों की तुलना में सस्ता पड़ेगा।’’ परन्तु यह सब अभी शुरूआती दौर में है। भारत ने इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी तथा नई दिल्ली का यही कहना है कि पाकिस्तान बातचीत के लिए अनुकूल वातावरण बनाए। उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद करके उसे दिया ‘मोस्ट फेवरेट नेशन’ का दर्जा भी वापस ले लिया था। 

इसके साथ ही भारत ने 2019 में पाकिस्तान से आयात होने वाले सामान पर 200 प्रतिशत आयात शुल्क भी लगा दिया था। इसके बाद 2019 में जब भारत ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 समाप्त की तो पाकिस्तान ने भी भारत के साथ व्यापार बंद कर दिया था। तब से अब तक दोनों देशों में राजनयिक स्तर की वार्ता प्रक्रिया बिल्कुल बंद पड़ी है और दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध निचले स्तर पर हैं। हालांकि गत वर्ष पाकिस्तान की ‘आर्थिक तालमेल कमेटी’ ने भारत के साथ व्यापार शुरू करने की सलाह दी थी, लेकिन तब पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने कह दिया था कि ‘‘पाकिस्तान मौजूदा हालात में भारत के साथ व्यापार नहीं करेगा।’’ 

दोनों देशों के इस स्टैंड के बाद द्विपक्षीय व्यापार में काफी गिरावट आई। आंकड़ों के अनुसार 2019-20 के मुकाबले 2020-21 में भारत द्वारा पाकिस्तान को किए जाने वाले निर्यात में 57 प्रतिशत की कमी आई जबकि भारत में पाकिस्तान से होने वाला आयात भी 81.89 प्रतिशत घटा। चूंकि शहबाज शरीफ के भाई तथा पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भारत के साथ अच्छे संबंध रहे हैं, अत: आशा की जा रही है कि शहबाज शरीफ भी उन्हीं के रास्ते पर चलेंगे। यदि संबंध सामान्य करने की प्रक्रिया की शुरूआत दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों की बहाली के साथ की जा सके तो इससे अच्छी बात कोई हो नहीं सकती। इससे जहां बदहाली के शिकार पाकिस्तान में महंगाई घटेगी, वहीं इससे पाकिस्तान के लोगों में भारत के प्रति कुछ सद्भावना पैदा हो सकती है, जिससे दोनों देशों के रिश्ते मजबूत होंगे और पाकिस्तान में खुशहाली आएगी जो दोनों देशों के लिए शुभ संकेत होगा।—विजय कुमार 


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