अवैध नशा मुक्ति केंद्रों में रोगियों पर हो रहे अत्याचार और लूट
punjabkesari.in Friday, Apr 28, 2023 - 04:56 AM (IST)

अपराध और नशों संबंधी संयुक्त राष्ट्र कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार विश्व में 25.5 करोड़ से अधिक लोग अवैध नशों का इस्तेमाल करते हैं जहां तक भारत का संबंध है, यहां पिछले कुछ दशकों के दौरान विशेष रूप से युवाओं में नशे की लत में भारी वृद्धि होने के कारण उनके इलाज के लिए नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना की आवश्यकता पैदा हुई है। इसका अनुचित लाभ उठाते हुए समाज विरोधी तत्वों ने अवैध नशा मुक्ति केंद्र खोल कर पीड़ितों का इलाज करने की बजाय उन्हें नशीली दवाएं आदि देकर ठगना शुरू कर रखा है और उनसे भारी-भरकम रकमें वसूल की जाती हैं। ऐसे अवैध नशा मुक्ति केंद्रों में नशे की तलब होने पर जब नशेड़ी तड़पते हैं तो उनसे मारपीट तक की जाती है और कई बार उन्हें बांध कर भी रखा जाता है और दवा के नाम पर नशा दिया जाता है। इसके चंद ताजा उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं :
* 2 मार्च को श्रीगंगानगर के एक मकान में अवैध रूप से संचालित नशा मुक्ति केंद्र में बंधक बनाकर रखे गए युवकों ने अधिकारियों को दी शिकायत में उन्हें नशा मुक्त करने के नाम पर यातनाएं देने और उनसे शारीरिक श्रम करवाने का आरोप लगाया तथा कहा कि केंद्र का संचालक उन्हें एक ही कमरे में निर्वस्त्र करके सुलाता था ताकि कोई भाग न जाए। केंद्र से छूट कर आए युवकों की शिकायत पर अधिकारियों ने छापा मार कर वहां से नशे में इस्तेमाल होने वाली गोलियां, शराब की बोतलें तथा तलवार सहित कई हथियार भी बरामद किए।
* 11 मार्च को नोएडा के एक नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती किए गए व्यक्ति की नशा मुक्ति केंद्र के संचालक द्वारा कथित पिटाई के परिणामस्वरूप गंभीर रूप से घायल होने के बाद मृत्यु हो गई।
* 17 मार्च को गाजियाबाद के ट्रानिका सिटी क्षेत्र में संचालित नशा मुक्ति केंद्र में एक युवक की मौत के सिलसिले में मृतक के साथियों ने केंद्र के संचालक पर पीट-पीट कर उसकी हत्या करने का आरोप लगाया।
* 10 अप्रैल को देहरादून (उत्तराखंड) स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती युवक के घर जाने की जिद करने से नाराज वहां के कर्मचारियों ने उसे भूखा-प्यासा रख कर बुरी तरह पीटा जिससे उसकी मौत हो गई।
* 22 अप्रैल को जालंधर के गाजीपुर स्थित अवैध नशा मुक्ति केंद्र में छापेमारी करके अधिकारियों ने वहां बंधक बनाकर रखे गए 56 युवकों को छुड़वाने के अलावा नशीली गोलियां व टीके आदि भी बरामद किए। केंद्र के संचालक प्रत्येक युवक से 15 से 20 हजार रुपए मासिक ले रहे थे। इस संबंध में जानकारों का कहना है कि भारत में केवल 4000-4500 मनोचिकित्सक ही हैं और वे सभी नशा मुक्ति उपचार के साथ जुड़े हुए भी नहीं हैं जिससे स्पष्टï है कि देश में नशा पीड़ितों के उपचार के लिए विशेषज्ञों की कितनी कमी है।
विशेषज्ञों के अनुसार विशेषकर कालेज छात्रों में भांग, तम्बाकू और शराब का सेवन आम हो गया है और इन्हीं नशों से शुरूआत करके वे दूसरे नशों की ओर बढ़ते हैं। हालत यह है कि 9 वर्ष तक की छोटी आयु के बच्चे भी अब नशे की लत के शिकार हो रहे हैं।
‘एम्स’ नई दिल्ली स्थित ‘नैशनल ड्रग डिपैंडैंस ट्रीटमैंट सैंटर’ के एडीशनल प्रोफैसर डा. अतुल अम्बेकर का कहना है कि अधिकांश नशा नियंत्रण कार्यक्रमों में अवैध दवाओं की आपूर्ति को सीमित करने पर बल दिया जाता है परंतु इतना ही काफी नहीं है। इसके लिए अधिक संख्या में सरकार द्वारा अधिकृत नशा मुक्ति केंद्र खोलने की आवश्यकता है। अवैध नशा मुक्ति केंद्रों के कारण पीड़ितों का शोषण रोकने के लिए केंद्र सरकार को अधिक सतर्कता बढ़ानी चाहिए। साथ ही पीड़ितों के परिवारों को जागरूक करना चाहिए कि वे रोगियों को अवैध नशा मुक्ति केंद्रों में इलाज के लिए लेकर न जाएं ताकि उनका सही इलाज हो और वे लुटने से भी बचे रहें।—विजय कुमार