असम और उत्तराखंड सरकारों ने पुरुषों की अधिक शादियों पर रोक का उठाया कदम

punjabkesari.in Sunday, Feb 04, 2024 - 01:53 AM (IST)

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के अनुसार उनकी सरकार ने राज्य में पुरुषों द्वारा अधिक शादियां करने का रिवाज समाप्त करने का कानून बनाने के लिए विधानसभा के अगले बजट सत्र में विधेयक लाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ‘समान नागरिक संहिता’ (यू.सी.सी.) पर कानून बनाने को लेकर आशावान है, जिस पर 5 फरवरी से शुरू होने वाले विधानसभा के 4 दिवसीय विशेष सत्र के दौरान विचार किया जाएगा।

इसी तरह उत्तराखंड सरकार भी जल्दी ही ‘समान नागरिक संहिता’ (यू.सी.सी.) को कानूनी जामा पहनाने की तैयारी में है जिसका प्रारूप ‘जस्टिस रंजना देसाई कमेटी’ ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया है। राज्य सरकार द्वारा इस बारे अधिसूचना 6 फरवरी को विधानसभा में जारी की जा सकती है। इसके अंतर्गत महिलाओं को अनेक अधिकार मिलने के साथ-साथ प्रदेश में पुरुषों द्वारा अधिक शादियां करने के रिवाज पर रोक लगेगी, जबकि इस समय ‘मुस्लिम पर्सनल ला’ के अंतर्गत मुसलमान पुरुषों को 4 विवाहों की अनुमति है।  

स्वतंत्रता के समय हमारी जनसंख्या 33 करोड़ थी जो अब बढ़ कर 140 करोड़ से अधिक हो चुकी है। परंतु अब शिक्षा के प्रसार के कारण लोग शादियां बड़ी उम्र में करने के अलावा बच्चे भी कुछ देर से ही पैदा कर रहे हैं और अधिकांश दम्पति 1 या 2 बच्चों को ही अधिमान दे रहे हैं। उल्लेखनीय है कि देश में पिछली सरकारों ने ‘हम दो हमारे दो’ का नारा लगाया था, जिसका किसी सीमा तक अच्छा ही परिणाम निकला। कम बच्चे होने के कारण परिवार में खुशहाली भी आती है। इसलिए अब पढ़े-लिखे मुसलमान दम्पति भी एक ही विवाह करने और बच्चे भी एक या दो पैदा करने को ही अधिमान देने लगे हैं लेकिन इसे और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

चूंकि जनसंख्या वृद्धि का एक बड़ा कारण निरक्षरता है, इसलिए अनपढ़ ही, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, अधिक बच्चे पैदा करते हैं। कम बच्चे होने से न सिर्फ पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य सुधरेगा, बल्कि रोजगार के अधिक मौके मिलने से बच्चों का भविष्य भी उज्ज्वल होगा। अत: असम और उत्तराखंड की सरकारें जितनी जल्दी यह प्रावधान कर सकें उतना ही अच्छा होगा। अन्य राज्यों की सरकारों को भी इस दिशा में जल्द से जल्द कदम उठाने चाहिएं, ताकि देश को जनसंख्या कम होने का लाभ मिल सके।—विजय कुमार 


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