अब ‘बिस्कुटों में हड्डियों के चूरे’ की मिलावट

punjabkesari.in Saturday, Jan 03, 2015 - 05:29 AM (IST)

दवाओं एवं खाद्य सामग्रियों में मिलावट का सभी लोगों की सेहत पर सीधा असर पड़ता है लेकिन इसके बावजूद मिलावटखोर अपने संकीर्ण स्वार्थों की खातिर मिलावटखोरी से बाज नहीं आ रहे। 

चाय की पत्ती में रंगीन बुरादा, काजू के छिलके, इस्तेमाल हो चुकी चाय की पत्तियों और पपीते के सूखे पत्तों की मिलावट की जाती है। काली मिर्च में पपीते के बीज, पिसे धनिए में लकड़ी का बुरादा या घोड़े की लीद, अरहर की दाल तथा बेसन में केसरी या खेसारी की मिलावट आम हो गई है।
 
कुछ खास इंजैक्शनों से रातों-रात सब्जियों और फलों का आकार बढ़ा कर दो गुणा-तीन गुणा कर दिया जाता है। लौकी (घीए) का आकार  ऑक्सीटोसीन नामक रसायन के इंजैक्शन से रातों-रात कई गुणा बढ़ जाता है।
 
स्वास्थ्यवद्र्धक हल्दी में लैड क्रोमेट नामक पदार्थ मिलाया जा रहा है जिससे शरीर में रक्ताल्पता, असमय गर्भपात, लकवा आदि का खतरा पैदा हो जाता है। इस मिलावट से प्रतिवर्ष लाखों लोग कैंसर, लकवा, शरीर में अकडऩ एवं कंपकंपी के दौरों जैसे रोगों के शिकार होकर विकलांग और शारीरिक रूप से विकृत हो रहे हैं।
 
और अब उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में अधिकारियों ने 30 दिसम्बर, 2014 को ‘अरोमा फूड्स’ नामक एक कम्पनी के कार्यस्थलों पर छापा मारकर कई मन जानवरों की हड्डियां जब्त की हैं। अधिकारियों को संदेह है कि ये हड्डियां यहां बिस्कुटों को अधिक स्वादिष्ट और कुरकुरा बनाने के लिए इस्तेमाल की जा रही थीं।
 
इस बरामदगी के बाद अधिकारियों ने वहां से बने और अनबने बिस्कुटों तथा रसों (रस्क) तथा इनके निर्माण में प्रयुक्त की जा रही सामग्री के नमूने लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला में भेज दिए हैं।
 
इस फैक्टरी के मालिक अजीम इकबाल के मुरादाबाद में 2 कारखाने हैं। पूछताछ के दौरान वह इस प्रश्र का संतोषजनक उत्तर देने में नाकाम रहा कि फैक्टरी में इतनी बड़ी मात्रा में जानवरों की हड्डियां क्यों रखी गई थीं।
 
बिस्कुटों के कारखाने में हड्डियों की मौजूदगी कई सवाल खड़े करती है और यह इस बात का संकेत है कि लोग लालच और लोभ में इस हद तक गिर सकते हैं कि बिस्कुट भी मिलावट से नहीं बच सके जो बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर आदमी का आहार हैं।  

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