अपने बुजुर्गों पर अत्याचार करके उन्हें मौत के मुंह में धकेल रही चंद कलियुगी संतानें

punjabkesari.in Friday, Apr 21, 2023 - 04:36 AM (IST)

60-70 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते अनेक लोगों का शरीर और स्मरणशक्ति कमजोर होने लगती है तथा उनकी कार्यक्षमता पहले जैसी नहीं रहती तथा उन्हें पहले की तुलना में अपने परिजनों की मदद व सहारे की जरूरत महसूस होने लगती है। ऐसे में संतानों द्वारा अपने माता-पिता या अन्य बुजुर्गों से स्नेह और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करने की अपेक्षा की जाती है परंतु आज भारत में बुजुर्गों के हितों की रक्षा करने वाले कानूनों की मौजूदगी के बावजूद विभिन्न कारणों से बड़ी संख्या में बुजुर्ग अपनी ही संतानों की उपेक्षा तथा उनके हाथों उत्पीडऩ के शिकार हो रहे हैं :
इसके चंद ताजा उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं : 

* 10 जनवरी को एक बुजुर्ग ने पुलिस को दी शिकायत में आरोप लगाया कि उसके बेटों ने, जिनमें से एक लैक्चरर है, उसकी सारी जायदाद हड़पने के बाद उसे अलवर (राजस्थान) स्थित पैतृक मकान से निकाल कर बेसहारा छोड़ दिया जिसके बाद वह करौली में आकर रहने को मजबूर हो गया और खिलौने बेच कर अपना पेट भर रहा है। 

* 19 जनवरी को बिहार के बेगूसराय के ‘ऐजड़ी’ गांव में रहने वाली एक 90 वर्षीय वृद्धा के रहने की व्यवस्था करने के लिए गांव की पंचायत ने अधिकारियों से गुहार लगाई। वृद्धा का एक बेटा दारोगा और दूसरा प्राइवेट कम्पनी में अच्छी पोस्ट पर है परंतु दोनों ही उसे गांव में बेसहारा छोड़ कर अपने-अपने घरों को ताला लगा कर जा चुके हैं और वह पड़ोसियों के सहारे अपनी जिंदगी के अंतिम दिन गुजारने को विवश है। 

* 31 जनवरी को इंदौर (मध्य प्रदेश) में पुलिस में गोपी यादव नामक एक 65 वर्षीय बुजुर्ग ने अपने बेटे और बहू के विरुद्ध मारपीट कर उन्हें घर से निकाल देने की शिकायत दर्ज करवाई जिस पर पुलिस ने उन दोनों के विरुद्ध ‘सीनियर सिटीजन एक्ट’ के अंतर्गत केस दर्ज किया। 
* 23 फरवरी को रायपुर (छत्तीसगढ़) के राजेंद्र नगर में गीता सलूजा नामक बीमार बुजुर्ग महिला ने अपने कलियुगी बेटे और बहू के विरुद्ध पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। 
उसने आरोप लगाया कि बेटे और बहू ने उसे बंधक बना कर लात-घूंसों से मारपीट करके चाकू की नोक पर साढ़े 5 लाख रुपए की एफ.डी. तुड़वा कर पैसे निकाल लिए। पीड़िता ने अपने बेटे और बहू पर फर्जी इकरारनामा बना कर उसके मकान पर कब्जा कर लेने का आरोप भी लगाया है। 

* 2 मार्च को जबलपुर (मध्य प्रदेश) की ‘रद्दी चौकी’ में रहने वाली एक बीमार बुजुर्ग महिला को अस्पताल से डिस्चार्ज करने के बाद जब उसकी बेटी ने घर ले जाने से इन्कार कर दिया तो 3 दिन लावारिस हालत में एक मंदिर में पड़ी रहने के बाद उसकी मौत हो गई। 

* 25 मार्च को औरैया (उत्तर प्रदेश) के ‘दिबियापुर’ निवासी महिला ने अपने पति के साथ एस.डी.एम. के कार्यालय में पहुंच कर शिकायत दर्ज करवाई कि वह बीमार रहती है और उसके पुत्र ने अपनी पत्नी के साथ मिल कर उन्हें घर से निकाल दिया है जिस पर अधिकारी ने दोषी बेटे और बहू को फटकार लगाने के बाद पीड़ित महिला और उसके पति को उनके घर में शिफ्ट करवाया। 
ये तो संतानों द्वारा अपने बुजुर्गों से दुव्र्यवहार के चंद उदाहरण  हैं, जबकि ऐसे उदाहरण अक्सर आते ही रहते हैं। गत वर्ष राजगढ़ ( राजस्थान) की एक वृद्धा ने पुलिस में अपने बेटे और बहू के विरुद्ध दर्ज शिकायत में कहा था कि सुबह-सुबह उसका चेहरा देख कर उसकी बहू भड़क उठती है। उसने अपनी बहू पर उसे ‘मनहूस’ कहने, झाड़ू से पीटने और रस्सी से बांध कर पटकने का आरोप भी लगाया। 

संतानों द्वारा अपने बुजुर्गों के इस तरह के उत्पीडऩ के कारण ही हम अपने लेखों में बार-बार लिखते रहते हैं कि माता-पिता अपनी सम्पत्ति की वसीयत तो अपने बच्चों के नाम अवश्य कर दें पर इसे ट्रांसफर न करें। ऐसा करके वे अपने जीवन की संध्या में आने वाली अनेक परेशानियों से बच सकते हैं परंतु अक्सर बुजुर्ग यह भूल कर बैठते हैं जिसका खमियाजा उन्हें अपने शेष जीवन में भुगतना पड़ता है।—विजय कुमार


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