कश्मीर घाटी के 40 प्रतिशत युवक विभिन्न प्रकार के नशों की लपेट में

punjabkesari.in Tuesday, Oct 02, 2018 - 04:06 AM (IST)

इस समय जबकि देश के अनेक भागों के युवाओं में नशे के बढ़ते चलन को लेकर भारी चिंता व्याप्त है, अब यह रहस्योद्घाटन हुआ है कि आतंकवाद से जूझ रहे जम्मू-कश्मीर की कश्मीर घाटी में भी नशे की लत गंभीर रूप धारण करती जा रही है। 

राज्य में नशीले पदार्थ मुख्य रूप से पाकिस्तान से आ रहे हैं तथा आतंकवादी हिंसा से पलायन करने के प्रयास में अनेक युवक नशों की लत के शिकार होते जा रहे हैं। 2008 में घाटी में नशीले पदार्थों के शिकार युवकों की संख्या मात्र 5 प्रतिशत थी जो अब बढ़ कर 40 प्रतिशत हो गई है। 

सेना द्वारा बारामूला में चलाया जा रहा नशा मुक्ति केंद्र स्थानीय लोगों को नशे की लत से बाहर निकालने की दिशा में यथासंभव प्रयास कर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार युवाओं को नशे की लत में धकेलने में तनाव बड़ी भूमिका निभा रहा है जबकि राज्य में नशीले पदार्थों की आसानी से उपलब्धता से स्थिति और बिगड़ रही है। सेना के नशामुक्ति केंद्र के एक अधिकारी अर्जुमंद मजीद के अनुसार आसानी से उपलब्ध होने वाली हैरोइन और कोकीन के अलावा भांग सर्वाधिक इस्तेमाल किया जाने वाला नशा है। इसके अलावा कश्मीरी युवाओं द्वारा लकड़ी के काम में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक पदार्थों का भी नशों के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। 

10-10 वर्ष की छोटी आयु के बच्चों को भी नशों का सेवन करते हुए देखा गया है। अनेक स्कूली छात्र जिनमें लड़कियां भी शामिल हैं, नशे के लिए निकोटीन, बाम, नींद की गोलियां, जूतों की पालिश और नेल पालिश रिमूवर का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। पहले ही आतंकवादी हिंसा से ग्रस्त जम्मू-कश्मीर के युवाओं का नशे की लत में गिरफ्तार होना गंभीर चिंता का विषय है जिससे युवाओं को यथाशीघ्र मुक्त कराने के उपाय करना अत्यंत आवश्यक है। ऐसा न होने पर राज्य की सुरक्षा को खतरा और बढ़ जाएगा।—विजय कुमार 


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Pardeep

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