हरियाणा के 140 स्कूल जहां लड़कियों के लिए शौचालय ही नहीं

punjabkesari.in Tuesday, Sep 19, 2017 - 12:12 AM (IST)

वैसे तो लोगों को सस्ती और स्तरीय चिकित्सा तथा शिक्षा उपलब्ध करवाना हमारी केंद्र और राज्य सरकारों का काम है परंतु दोनों ही मोर्चों पर हमारी सरकारें विफल सिद्ध हो रही हैं।

यहां तक कि सरकारी स्कूलों में बच्चोँ के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएं ही उपलब्ध नहीं हैं। सरकारी स्कूलों की दुर्दशा के 2 उदाहरण हाल ही में हरियाणा और मध्य प्रदेश से सामने आए हैं।एक आर.टी.आई. के जवाब में हरियाणा सरकार ने बताया है कि राज्य के लगभग 140 सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं हैं।

वर्ष 2016-17 के लिए ‘यूनीफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फार एजुकेशन’ (यू.डी.आई.एस.ई.) रिपोर्ट के हवाले से जवाब में बताया गया है कि ‘‘हरियाणा में 7 लड़कियों और 132 सरकारी सहशिक्षा स्कूलों में शौचालय की सुविधा ही नहीं है जिस कारण लगभग 5000 छात्राओं और इन स्कूलों में पढ़ाने वाली सैंकड़ों महिला फैकल्टी सदस्यों को परेशानी का लगातार सामना करना पड़ रहा है।’’

सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय न होना राज्य में लड़कियों के पढ़ाई छोडऩे का मुख्य कारण माना जाता है। राज्य सरकार द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्व‘छ भारत अभियान’ तथा ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना पर बल देने के बावजूद पिछले एक वर्ष में बिना शौचालयों वाले स्कूलों की संख्या लगभग दोगुना हो गई है।

यू.डी.आई.एस.ई. की 2015-16 की रिपोर्ट में बताया गया था कि हरियाणा के 85 स्कूलों में (लड़कियों तथा सहशिक्षा दोनों) लड़कियों के लिए शौचालय नहीं थे। रिपोर्ट के लिए डाटा जमा करने वाली टीम के अनुसार सुविधा विहीन स्कूलों में शौचालयों की देखभाल की कमी का भी उल्लेख किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार अनेक स्कूलों में देखभाल के अभाव में शौचालय नकारा हो गए हैं। वर्षों से निष्क्रिय शौचालयों वाले स्कूलों को भी शौचालय विहीन स्कूलों में गिना जाता है। वर्ष 2015-16 की रिपोर्ट में राज्य में 51 स्कूलों में लड़कियों के शौचालय काम नहीं कर रहे थे।

हरियाणा के शिक्षा मंत्री श्री राम बिलास शर्मा का कहना है कि सरकार लगातार सरकारी स्कूलों में शौचालयों का निर्माण करवा रही है परंतु जब पत्रकार ने उनसे यह प्रश्र किया कि यदि ऐसी बात है तो इस वर्ष शौचालय विहीन स्कूलों की संख्या पिछले वर्ष से अधिक क्यों है तो उन्होंने किसी बहाने फोन काट दिया।

जहां हरियाणा में लड़कियों के लिए 140 स्कूलों में शौचालय नहीं हैं वहीं मध्य प्रदेश के छत्रपुर जिले में एक सरकारी प्राइमरी स्कूल ऐसा भी है जहां पढऩे वाले बच्चोँ की क्लासें किसी इमारत में नहीं बल्कि खुले आकाश के नीचे एक गली में लगाई जा रही हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त ‘स्कूल’ जनवरी 2014 में चालू तो हो गया था परंतु अभी तक इसे अपनी इमारत नसीब नहीं हुई। इसके परिणामस्वरूप संबंधित अधिकारी इस स्कूल में पढऩे वाले बच्चोँ की एक गली में कक्षाएं लगा रहे हैं। इस स्कूल में इस समय 41 छात्र पढ़ रहे हैं तथा मुख्याध्यापक सहित 2 अध्यापकों की यहां बच्चोँ को पढ़ाने की ड्यूटी लगी है।

स्कूल के मुख्याध्यापक राजेंद्र गोस्वामी के अनुसार शुरू-शुरू में वे एक मंदिर की इमारत में बच्चोँ की कक्षाएं लगाया करते थे और बाद में उन्होंने एक नजदीकी मकान में कमरा ले लिया लेकिन वह अ‘छा नहीं था और गर्मी के मौसम में वहां बच्चोँ के लिए बैठ पाना कठिन था लिहाजा बाहर मौसम ठंडा होने के कारण उन्होंने गली में क्लासें लगाना शुरू कर दिया।

मुख्याध्यापक के अनुसार उन्होंने इस संबंध में उच्चाधिकारियों को सूचित भी किया है परंतु कोई सुनवाई नहीं हुई। इतना ही नहीं वह स्वयं जाकर अधिकारियों से मिल भी चुके हैं परंतु आश्वासनों के सिवा कुछ नहीं मिला।

उल्लेखनीय है कि इस ‘स्कूल’ जहां ये क्लासें लगती हैं, के निकट ही एक मंदिर है जहां राजनीतिज्ञों से लेकर उच्चाधिकारी तक आते रहते हैं। वे बच्चोँ को गली में बैठकर पढ़ते देखते हैं परंतु ऐसा लगता है कि किसी का उनकी तरफ ध्यान ही नहीं जाता।

हरियाणा के कन्या शौचालय विहीन स्कूल और मध्य प्रदेश का गली में चलाया जा रहा स्कूल इस तथ्य के मुंह बोलते प्रमाण हैं कि हमारी सरकारें सही अर्थों में शिक्षा को बढ़ावा देने में किस कदर उदासीनता बरत रही हैं। यदि बच्चोँ को बुनियादी सुविधाएं ही नहीं मिलेंगी तो वे क्या पढ़ाई कर पाएंगे!    —विजय कुमार  


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