PGI : ज्यादा फायदेमंद साबित नहीं हुआ ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, अभी भी लगी हैं लंबी कतारें

punjabkesari.in Thursday, Dec 08, 2016 - 08:53 AM (IST)

चंडीगढ़ (रवि) : पी.जी.आई. न्यू ओ.पी.डी. में रोजाना हजारों की तादाद में मरीज दूरदराज से चैकअप के लिए आते हैं। मरीजों की सहुलियतों और ओ.पी.डी में लंबी लाइनों को कम करने के लिए 2 सिंतबर, 2015 को ऑनलाइन  रजिस्ट्रेशन की शुरुआत की गई थी, ताकि मरीजों को लंबी लाइनों में न लगना पड़े व साथ ही रजिस्ट्रेशन काऊंटरों पर होने वाले रश को कम किया जा सके, लेकिन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने के बावजूद मरीजों को कोई फायदा नहीं हो रहा है। ऑनलाइन से आने वाले मरीजों को भी दूसरे मरीजों के साथ लंबी-लंबी लाइनों में लगकर ही अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। 

 

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद मरीज को काऊंटर नंबर-16 से सिर्फ कार्ड दिया जाता है, जिसे मरीज ओ.पी.डी. में जाकर देता है जिसके बाद उसे भी बाकी मरीजों की तरह इंतजार करना पड़ता है। मोहाली से आई 26 वर्ष की सुमन गॉयनी विभाग में चैकअप के लिए आई थी। उनकी मानें तो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाने का कोई फायदा नहीं हुआ। करीब 2 घंटे बाद जाकर उनका नंबर आया। वहीं पंजाब से अपनी मां का चैकअप करवाने आए 30 वर्षीय संजय ने बताया कि वैबसाइट पर बकायदा लिखा गया है कि ऑनलाइन से आने वाले मरीजों को सीधा डाक्टर से अपाइन्मैंट मिलेगा जबकि ऐसा नहीं हो रहा।   

 

एक वर्ष में महज 60174 रजिस्ट्रेशन  
एक वर्ष पहले शुरू की गई इस सुविधा से अब तक सिर्फ 600174 लोगों ने ही रजिस्ट्रेशन करवाया है। वहीं ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में साफ लिखा गया है कि इस सुविधा के इस्तेमाल से मरीज को लाइन में नहीं लगना पड़ेगा, बल्कि सीधा डाक्टर से अपाइन्मैंट मिलेगा, लेकिन इसके बावजूद मरीज को सिर्फ ओ.पी.डी. में कॉर्ड दिया जा रहा है। लंबी लाइनों और मरीजों की भीड़ कम करने की यह सुविधा असफल होती दिख रहा है। पी.जी.आई. में रोजाना 10 हजार के करीब मरीज ओ.पी.डी. में  चैकअप के लिए आते हैं, लेकिन इन मरीजों में बड़ी संख्या उन मरीजों की है जो गांव या छोटे शहरों के हैं और ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं, लेकिन जो मरीज इसका इस्तेमाल कर रहे हैं वह भी इसकी प्रणाली से संतुष्ट नहीं हैं। 

 

अंग्रेजी भी अड़चन
पी.जी.आई. अधिकारियों की मानें तो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कम होने के पीछे एक बड़ी वजह वैबसाइट का सिर्फ अंग्रेजी में होना भी बताया जा रहा है। हालांकि इस सुविधा के शुरू होने पर कहा गया था कि मरीजों के लिए वैबसाइट में अंग्रेजी के साथ हिंदी और पंजाबी में भी ऑप्शन रखा जाएगा, ताकि अंग्रेजी जानने वाले लोग भी इसका फायदा उठा सके, लेकिन इसके बावजूद आज तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। 


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