नेपाल के प्रधान न्यायाधीश फर्जी जन्म तारीख को लेकर बर्खास्त

punjabkesari.in Wednesday, Mar 14, 2018 - 10:23 PM (IST)

काठमांडू: नेपाल के विवादास्पद प्रधान न्यायाधीश (चीफ जस्टिस) गोपाल पाराजुली की जन्म तारीख में विसंगतियां रहने और सेवानिवृत्ति की उम्र पार करने के बाद भी पद पर बने रहने को लेकर देश की न्यायिक परिषद ने बुधवार को उन्हें बर्खास्त कर दिया।

विद्या भंडारी को राष्ट्रपति पद का शपथ दिलाने के कुछ ही मिनट पहले यह फैसला आया। वह मंगलवार को दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुनी गईं। न्यायिक परिषद ने पाराजुली की बर्खास्तगी के पत्र में उनकी नागरिकता और अकादमिक प्रमाणपत्रों में उल्लिखित जन्म तिथियों में विसंगति होने का जिक्र किया है।

न्यायिक परिषद ने कहा कि पाराजुली को सात महीने पहले सेवानिवृत्त हो जाना चाहिए था जब वह 65 साल के हुए थे। यह नेपाल में सेवानिवृत्ति की आधिकारिक उम्र सीमा है। परिषद सचिव निराउला द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि 14 मार्च 2018 के सचिव स्तर के एक फैसले के मुताबिक हम यह सूचित करते हैं कि माननीय गोपाल प्रसाद पाराजुली प्रधान न्यायाधीश के पद नहीं रहेंगे क्योंकि उन्होंने पांच अगस्त 2017 को 65 साल की उम्र सीमा पार कर ली जो सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा है। परिषद का फैसला पाराजुली के जन्म की तारीख को लेकर विवाद और नेपाल के प्रमुख समाचारपत्र कांतिपुर डेली पर अदालत की अवमानना का आरोप लगाने के उनके कदम की व्यापक निंदा के मद्देनजर आया है।

दरअसल, अखबार ने सिलसिलेवार आलेखों के जरिए कहा था कि पाराजुली ने विभिन्न आधिकारिक दस्तावेजों पर जन्म की पांच अलग- अलग तारीखें दी हैं। जब नौ न्यायाधीशों ने खुद को दी गई पीठों की जिम्मेदारियों का बहिष्कार किया था, उसके बाद पाराजुली इस्तीफा देने या न्यायिक प्रक्रिया से दूर रहने के दबाव में थे।

वहीं, भंडारी के शपथ ग्रहण की वैधता पर भी सवाल उठ रहा है क्योंकि परिषद ने पाराजुली द्वारा भंडारी को शपथ ग्रहण कराने से कुछ ही मिनट पहले पाराजुली को बर्खास्त करने का पत्र जारी किया था। बहरहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि भंडारी को फिर से शपथ ग्रहण करना होगा या नहीं।     


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