नॉन वेज के शौकीन है तो ये कथा बदल देगी आपका जीवन

punjabkesari.in Thursday, Aug 03, 2017 - 10:19 AM (IST)

एक राजा शिकार का बड़ा प्रेमी था। जब वह शिकार के लिए जाता था तो चारों ओर हाहाकार मच जाता था। वन के सभी जीव बहुत दुखी थे। उन जीवों में एक उदार और मृदुभाषी मृगभी था। वह वन के जीवों के दुख से बहुत दुखी था। वह सोचता था, ‘‘ईश्वर ने खाने के लिए अनेक चीजें पैदा की हैं फिर भी मनुष्य जीवों का शिकार क्यों करता है।’’


उसने राजा के पास जाने का निश्चय किया। सुबह का समय था। राजा शिकार पर निकलने की तैयारी कर रहा था तभी वह मृग उसके सामने आकर खड़ा हो गया। मृग ने कोमल वाणी में कहा, ‘‘राजन, आप प्रतिदिन वन में जाकर जीवों का शिकार करते हैं, कुछ जीव आपके हाथी-घोड़ों द्वारा कुचल दिए जाते हैं। मेरे शरीर के भीतर कस्तूरी का भंडार है। आपसे प्रार्थना है कि आप इस भंडार को ले लें और वन के प्राणियों का शिकार करना छोड़ दें।’’


मृग की बात सुनकर राजा विस्मय होकर बोला, ‘‘क्या तुम उन्हें बचाने के लिए अपने प्राण देना चाहते हो। तुम्हें मालूम है कि कस्तूरी पाने के लिए मुझे तुम्हारा वध करना होगा।’’


मृग बोला, ‘‘राजन, आप मुझे मारकर कस्तूरी का भंडार ले लीजिए परन्तु निर्दोष जीवों को मारना छोड़ दीजिए।’’ 


राजा ने एक बार फिर उसे आगाह करने की गरज से कहा, ‘‘तुम्हारा शरीर तो बहुत सुंदर है।’’ 


मृग ने जवाब दिया, ‘‘राजन, यह सुंदर शरीर नश्वर है। मैं दूसरों के प्राण बचाने के लिए मर जाऊं इससे अच्छी बात क्या हो सकती है।’’


मृग की ज्ञान भरी वाणी ने राजा के मन में प्रकाश पैदा कर दिया। वह सोचने लगा, ‘‘यह जानवर होकर भी दूसरों के लिए अपने प्राण दे रहा है और मैं मनुष्य होकर रोज जीवों को मारता हूं।’’


उस दिन से राजा जीवों की हिंसा छोड़कर सब पर दया करने लगा। वह समझ गया था कि नश्वर शरीर की सार्थकता दूसरों की भलाई में ही है।


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Niyati Bhandari

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