आप भी भगवान को फूल चढ़ाते हैं, जानें पाप कमा रहे हैं या पुण्य

punjabkesari.in Wednesday, Jun 28, 2017 - 11:09 AM (IST)

राजा राम मोहन राय के बगीचे में बड़े ही सुंदर फूलों के पेड़ लगे थे। एक व्यक्ति था जो हर रोज वहां आता और उनसे पूछे बिना ही पूजा के लिए फूल तोड़ कर ले जाता। यह सिलसिला लगातार कई दिनों तक चलता रहा। रोज की तरह ही एक दिन उस व्यक्ति ने फूल तोडऩे के लिए अपनी चादर उतारी और पेड़ पर लटका कर फूल तोडऩे लगा। उसी समय राजा राम मोहन राय के आदेशानुसार एक सेवक ने उस व्यक्ति की वह चादर उठा ली और राजा राम मोहन राय को दे दी।


फूल तोडऩे के बाद जब वह व्यक्ति अपनी चादर लेने के लिए उस पेड़ के पास गया, जहां उसने उसे लटकाई थी, तो वहां चादर न देख वह हैरान रह गया और सोचने लगा कि आखिर उसकी चादर गई कहां? वह गुस्से से आग-बबूला हो गया। कुछ देर बाद राजा राम मोहन राय आए और उन्होंने उस व्यक्ति को उसकी चादर लौटाते हुए कहा, ‘ ‘अब तो खुश हैं आप, आपको आपकी चादर वापस मिल गई।’’ 


उस व्यक्ति ने गुस्से में ही जवाब दिया, ‘‘खुश?  इसमें खुश होने वाली कौन-सी बात है, मुझे अपनी ही वस्तु मिली है।’’ 


राजा राम मोहन राय ने उस व्यक्ति से पूछा, ‘‘आप रोज फूल तोड़कर कहां ले जाते हैं?’’


उस व्यक्ति ने जवाब दिया, ‘‘मैं ये फूल तोड़कर मंदिर में ले जाता हूं। भगवान को खुश करने के लिए उनको ये फूल अर्पित करता हूं।’’


राजा राम मोहन राय ने उस व्यक्ति का यह जवाब सुनकर कहा, ‘‘पहली बात तो यह कि आप बिना पूछे ही फूल तोड़कर ले जाते हैं। चलो कोई बात नहीं, लेकिन आप भगवान की दी हुई वस्तु भगवान को अर्पित करते हैं, तो इससे भगवान खुश होते हैं क्या?’’ 


उस व्यक्ति ने कहा, ‘‘क्यों नहीं, भगवान को फूल ही तो पसंद हैं, भगवान को फूलों से खुशी मिलती है।’’


राजा राम मोहन राय ने उस व्यक्ति से कहा, ‘‘तो आपको चादर मिलने पर खुशी क्यों नहीं हुई?’’ 


राजा राम मोहन राय की यह बात सुनकर वह व्यक्ति सोच में पड़ गया और राजा राम मोहन राय बिना कुछ और कहे लौट गए।


शिक्षा : फूल जब तक पेड़ पर लगा रहता है, तभी तक वह सुंदर और जीवित होता है। उसे तोड़ कर हम उस फूल का जीवन ही समाप्त कर देते हैं और यह मानकर खुश होते हैं कि भगवान खुश होंगे। भला, किसी फूल का जीवन समाप्त होने पर भगवान को खुशी कैसे हो सकती है? 
 


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