घर की लक्ष्मी के ये गुण पति को बनाते हैं दौलतमंद

punjabkesari.in Wednesday, Jan 10, 2018 - 02:05 PM (IST)

हिंदू शास्त्रों के अनुसार पत्नी पति की अर्धांगिनी कहलाती है अर्थात पत्नी-पति दो न होकर एक ही होते हैं। महाभारत में भीष्म पितामाह कहते हैं हर पति का यह परम कर्त्तव्य है कि वह अपनी पत्नी को सदा प्रसन्न रखे। इसके अतिरिक्त अंगिरा, याज्ञवल्क्य स्मृति, आपस्तम्ब और गरुड़ पुराण के धर्म सूत्रों में भी पत्नी के गुणों और सम्मान से जुड़े बहुत सारे पक्षों पर प्रकाश डाला गया है। गरुड़ पुराण के एक श्लोक अनुसार-


सा भार्या या गृहे दक्षा सा भार्या या प्रियंवदा। सा भार्या या पतिप्राणा सा भार्या या पतिव्रता।। (108/18) 


भारत में महिलाओं को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है। जन्म होता है तो घर में लक्ष्मी आती है, बहू बन कर दूसरे घर जाती है तो लक्ष्मी का रूप कहलाती है। लक्ष्मी जैसी पत्नी जिसे प्राप्त हो जाए उसका स्वयं का जीवन ही नही आने वाली पीढ़ियों का जन्म भी धन्य हो जाता है। विवाह संस्कार के बाद पति और पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का हो जाता है। यदि पत्नी सर्वगुण संपन्न हो तो उसके साथ ही घर में प्रवेश करती हैं लक्ष्मी। आईए जानें धर्म ग्रंथों के अनुसार सही मायनों में कैसी पत्नी होती है लक्ष्मी  


जिस व्यक्ति की पत्नी मन, वचन और कर्म से पवित्र होती है। जीवन में जैसी भी परिस्थितियां हों पति से कोई विभेदन नहीं करती, उसे खुश रखने का भरपूर प्रयास करती है कभी भी उसका मन नहीं दुखाती। पति के उच्छिष्ट अन्न आदि को परम प्रिय भोजन मानकर ग्रहण करती है और पति जो कुछ दे, उसे महाप्रसाद मानकर शिरोधार्य करती है।


जो पत्नी घर के कामों में निपुण हो और घर गृहस्थी सुचारू रूप से चलाते हुए परिवार का भरण-पोषण अच्छे से कर सकती हो पति से कोई भी बात न छिपाती हो और हमेशा सच का आचरण रखती हो। ऐसे गुणों वाली पत्नी ही श्रेष्ठ मानी गई है। पति को ऐसी पत्नी का मान-सम्मान करना चाहिए। 


लक्ष्मी समान पत्नी घर में रहते हुए, गृहस्थ धर्म निभाते हुए उग्र साधना करती है कि साधु–संतों की साधना को भी मात दे देती है। पत्नी का पतिव्रत धर्म ही ऐसा अमोघ शस्त्र है, जिसके सम्मुख बड़े–बड़े वीरों के शस्त्र भी कुंठित हो जाते हैं। लक्ष्मी रूपा पत्नी अनायास ही योगियों के समान सिद्धि प्राप्त कर लेती है, इसमें किंचित मात्र भी संदेह नहीं है।


जिस व्यक्ति की पत्नी क्रोधी स्वभाव की होती है, पति को प्रेम नहीं करती, पतिव्रत धर्म का पालन न करती हो हमेशा पति को दुख देती रहती हो। ऐसी पत्नी को तुरंत त्याग देना चाहिए। जहां प्रेम का अभाव है वहां कोई रिश्ता नहीं रखना चाहिए।


जो पत्नी ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर पति के लिए श्रृंगार करती है। ईश पूजन करने के उपरांत सुचारू रूप से घर गृहस्थी के काम करती है, बड़ों से सम्मान और छोटों से प्यार, घर आए अतिथियों का उचित सम्मान करना, आय के अनुसार गृहस्थी चलाना आदि कार्यों में दक्ष होती है ऐसी पत्नी अपने पति से भरपूर प्यार पाती है।


जिसकी सहचरी में ये गुण होते हैं वह स्वर्ग के राजा देवराज इंद्र के समान समृद्ध और भाग्यशाली होता है। उसके घर में कभी अलक्ष्मी नहीं आती, वह सदा दौलतमंद रहता है।


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