Sarva Pitru Amavasya: इस विधि से करें धरती पर आए पितृगणों की आत्मा को विदा

punjabkesari.in Thursday, Oct 12, 2023 - 08:03 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Sarva Pitru Amavasya 2023: वंशज अपने पुरखों को उनकी मृत्यु के उपरांत भुला न दें, इसलिए शास्त्रों ने पूर्वजों का श्राद्ध करने का विशिष्ट विधान बताया है। शास्त्रनुसार सर्वपितृ अमावस्या पितृगणों को विदा करने की अंतिम दिन है। शास्त्र ऐसा कहते हैं की सोलह दिन तक पितृ अपने वंशज के घर में विराजते हैं और अपने वंशज से तर्पण, पिंड व श्राद्ध के रूप में जल, अन्न वस्त्र की उम्मीद रखते हैं। सर्वपितृ अमावस्या के दिन सभी पितृगण पुनः अपने लोक लौट जाते हैं। ऐसे में अगर पितृपक्ष के 16 दिनों में जो वंशज श्राद्ध नहीं करता है तो पितृ उससे नाराज़ होकर श्राप देकर लौट जाते हैं। सर्वपितृ अमावस्या पर उन सभी पूर्वजों का श्राद्धकर्म कर सकते हैं, जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात न हो या जिनका श्राद्ध करना पूर्व 15 दिनों में संभव न हो पाया हो।

PunjabKesari Sarva Pitru Amavasya

ऐसे करें पितृगणों को विदा: श्राद्धकर्ता दक्षिणमुखी होकर हाथ में तिल, त्रिकुश व जल लेकर यथा विधि संकल्प कर पंचबलि देकर दानपूर्वक ब्राह्मण को भोजन कराएं। पंचबलि का अर्थ है पांच अलग-अलग तरह के दान कर्म जो श्राद्धकर्ता पितृगणों के निमित कर्ता है। पितृ के निमित पंच बलिदान इस प्रकार हैं-

PunjabKesari Sarva Pitru Amavasya

पिपीलाकादि बलि: यह दान पितृ के निमित पीपल के पेड़ में रहने वाले कीटों को दिया जाता है। सव्य होकर 'पिपीलिका कीट पतंगकाया' मंत्र बोलते हुए थाली में सभी पकवान परोस कर अपसभ्य व दक्षिणाभिमुख होकर निम्न संकल्प करें- 'अद्याऽमुक अमुक शर्मा वर्मा, गुप्तोऽहमूक गोत्रस्य मम पितु: मातु: महालय श्राद्धे सर्वपितृ विसर्जनामावा स्यायां अक्षयतृप्त र्थमिदमन्नं तस्मै। तस्यै वा स्वधा।'


गो-बलि: यह दान पितृ के निमित गाय को दिया जाता है। भोजन को पत्ते पर रखकर मंडल के बाहर पश्चिम की ओर 'ॐ सौरभेय्य: सर्वहिता:' मंत्र पढ़ते हुए गो-बलि पत्ते पर दें तथा 'इदं गोभ्यो न मम्' ऐसा कहें।

PunjabKesari Sarva Pitru Amavasya
श्वान-बलि: यह दान पितृ के निमित कुत्ते को दिया जाता है। भोजन को पत्ते पर रखकर यज्ञोपवीत को कंठी कर 'द्वौ श्वानौ श्याम शबलौ' मंत्र पढ़ते हुए कुत्तों को दान दें 'इदं श्वभ्यां न मम्' ऐसा कहें।


काक बलि: यह दान पितृ के निमित कौवे को दिया जाता है। अपसव्य होकर 'ॐ ऐद्रेवारुण वायण्या' मंत्र पढ़कर कौवों को भूमि पर अन्न दें। साथ ही इस मंत्र को बोलें–'इदं वायसेभ्यो न मम्'।


देवादि बलि: यह दान पितृ के निमित देवताओं को दिया जाता है। सव्य होकर 'ॐ देवा: मनुष्या: पशवो' मंत्र बोलेते हुए देवादि के लिए अन्न दें तथा 'इदमन्नं देवादिभ्यो न मम्' कहें।

PunjabKesari Sarva Pitru Amavasya


 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News