ज्योतिष की भविष्यवाणी- सत्तरवां स्वतंत्रता का साल भारत के लिए बड़ी चुनौती

punjabkesari.in Tuesday, Aug 15, 2017 - 07:18 AM (IST)

2017 में भारत की वर्षफल मुंथा कुंडली
मंगलवार दिनांक 15.08.17 ठीक रात 12 बजे ज्योतिष के सोलर रिटर्न चार्ट अर्थात मुंथा आधारित वर्षफल अनुसार भारत की कुंडली में मुन्थेश ग्यारहवें भाव मीन में बैठा हुआ है जो समृद्धि का सूचक है तथा मुंथा अधिपति बृहस्पति जो की स्वतंत्र भारत की कुंडली का लाभेष भी है अपनी ही राशि से सातवें स्थान पर विराजमान है। स्वतंत्र भारत की कुंडली का पराक्रमेष चंद्रमा मेष राशि बाहरवें स्थान में विराजित है जो संकेत दे रहा है की भारत को विदेश से आर्थिक और सैन्य साहयता मिलने के आसार हैं। स्वतंत्र भारत की कुंडली का योगकारक ग्रह शनि सप्तम स्थान में वक्र अवस्था में विराजित है जो भाग्य लग्न और चतुर्थ भाव पर दृष्टि दे रहा है जिसके कारण भारत को आर्थिक दृष्टिकोण से नुकसान हो सकता है।


वार्षिक मुंथा कुंडली के अनुसार चौथे भाव में राहु और बुध का मिलन तथा देश में भीतरघात के संकेत दे रहा है। यह स्थिति कदापि देशहित में नहीं है। भारत को खतरा अपने ही कुछ विशेष वर्ग के नागरिकों से हो सकता है। जो आतंकवाद, जातिवाद, सम्प्रदायवाद साम्यवाद जैसे संगीन अपराधों को जन्म दे सकते हैं तथा अप्रत्यक्ष रूप से पड़ोसी देश की मदद कर सकते हैं। परंतु दसवें भाव में बैठा केतू विदेशी साहयता का सूचक है। तीसरे भाव में बैठा चतुरतेश सूर्य और धनेश मंगल का मिलन शक्ति का सूचक है। सूर्य मंगल के मिलन से स्वतंत्र भारत हर मुश्किल का सामना करते हुए हर संकट को तारते हुए पुनः उप्पर आएगा तथा ग्रह योग ऐसा संकेत देते हैं की भारत विदेशी मित्रों की साहयता से पुनः विजय प्राप्त कर पाएगा।


2017 में आर्थिक भारत
वर्षफल मुंथा कुंडली में बुध का वक्र अवस्था में चौथे भाव सिंह राशि में आना कृषि के क्षेत्र में धीमी गति से विकास को दर्शाता है। चंद्रमा का बाहरवें भाव में आना तथा शनि के षडाष्टक योग जलवायु परिवर्तन और बाड़ के खतरे का संकेत देता है। इसी क्रम में कुपोषण, अशिक्षा और कम वृद्धि का व्यापार होने की संभावना है। वर्षेश्वर शुक्र का धन स्थान में आना शुभ संकेत हैं जिसके अनुसार भारत में 26.01.18 के बाड़ अच्छी फसल होने की संभावना है। बच्चों के बीच कुपोषण दर में आएगी। गुरु का पांचवें स्थान में आना शिक्षा क्षेत्र में वृद्धि के संकेत दे रहा है। शनि का वक्र रहने से खुदरा और परिवहन क्षेत्र प्रभावित रहेंगे। जिससे खाद्यान और व्यवसायिक क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इन योगों से मांग में कमी संभावना बनती है जिससे बाज़ार में मंदी रेह सकती है परंतु 26.01.18 के बाढ़ बाज़ार बेहतरीन तरीके से ऊपर आएगा। परंतु वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में कमी और वित्तीय बाजारों में उछाल से 26.01.18 के बाढ़ वृद्धि संभव है।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com


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