किसी भी पद को स्वीकार करने से पूर्व ध्यान रखें ये बात, लक्ष्य पाने में होगी आसानी

punjabkesari.in Sunday, May 28, 2017 - 10:25 AM (IST)

चीन के महान दार्शनिक च्युआंग जू एक दिन नदी किनारे अपूर्व मस्ती में बैठे थे। तभी वहां से राजा दरबारियों के साथ गुजरे। उन्होंने च्युआंग जू को देखा और उनसे बातचीत की। राजा उनके ज्ञान और विद्वता से बहुत प्रभावित हुए। महल पहुंचते ही उन्होंने दूत भेजकर उनको निमंत्रण भिजवाया। जब च्युआंग जू राजमहल पहुंचे तो राजा ने उनका स्वागत करते हुए कहा, ‘‘मैं आपके व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हूं। मुझे विश्वास है कि आप इस राज्य के लिए बड़े महत्वपूर्ण हो सकते हैं इसलिए मैं आपको इस राज्य के प्रधानमंत्री का पद देना चाहता हूं।’’


च्युआंग जू दार्शनिक राजा की बात बड़े मनोयोग से सुन रहे थे। साथ ही राजा के कक्ष में इधर-उधर नजर भी दौड़ा रहे थे। अचानक ही दार्शनिक की दृष्टि राजा के कक्ष में मृत कछुए के कलेवर पर पड़ी। दार्शनिक ने राजा से बड़ी विनम्रता से कहा, ‘‘मैं आपके प्रस्ताव के संबंध में हां या न कहने से पहले आपसे कुछ पूछना चाहता हूं।’’


राजा ने प्रसन्नचित होकर कहा, ‘‘पूछिए।’’


दार्शनिक ने कहा, ‘‘आपके इस कक्ष में जो यह कछुए का कलेवर पड़ा है, अगर इसमें फिर से प्राणों का संचार हो जाए तो क्या यह कछुआ आपके इस सुसज्जित महल में रहना पसंद करेगा?’’ 


राजा ने कहा, ‘‘नहीं। यह तो पानी का जीव है, पानी में ही रहना चाहेगा।’’


मुस्कुरा कर च्युआंग जू ने कहा, ‘‘तो क्या मैं इस कछुए से भी ज्यादा मूर्ख हूं जो अपना आनंदपूर्ण, आजाद जीवन छोड़कर यहां आपके महल में परतंत्रता और जिम्मेदारियों के कांटों का ताज पहन कर जीने को तैयार हो जाऊंगा? बंधन में बांधने वाला यह प्रधानमंत्री पद मुझे नहीं चाहिए।’’


दार्शनिक के विचार सुनकर राजा ने उनका अभिवादन करते हुए कहा, ‘‘आप विचारों से ही नहीं आचरण से भी पूर्ण दार्शनिक हैं।’’


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