महाशिवरात्रि पर्व पर न करें ये भूल

punjabkesari.in Thursday, Feb 23, 2017 - 12:01 PM (IST)

महाशिवरात्रि भक्तों को विशेष फल देने वाली है। इस दिन भगवान शिव का अभिषेक कर पाया जा सकता है छप्पड़फाड़ धन, कर्जों से मुक्ति, व्यापार में प्रगति और विद्या में उन्नति। महाशिवरात्रि पर व्रत और जागरण करने का विधान है। उत्तरार्ध और कामिक के मतानुसार सूर्य के अस्त समय यदि चतुर्दशी हो, तो उस रात को 'शिवरात्रि' कहा जाता है। यह अत्यन्त फलदायक एवं शुभ होती है। आधी रात से पूर्व और आधी रात के उपरांत अगर चतुर्दशी युक्त न हो, तो व्रत धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे समय में व्रत करने से आयु और ऐश्वर्य की हानि होती है। माधव मत से 'ईशान संहिता' में वर्णित है कि जिस तिथि में आधी रात को चतुर्दशी की प्राप्ति होती है, उसी तिथि में भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए व्रत करें। 


व्रत का आरंभ करने का विधान: प्रात: काल स्नान से निवृत्त होकर एक वेदी पर कलश की स्थापना कर गौरी-शंकर की मूर्ति या चित्र रखें। कलश को जल से भर कर रोली, मौली, अक्षत, पान सुपारी, लौंग, इलायची, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, कमलगट्टा, धतूरा, बिल्व पत्र, कनेर आदि अर्पित करें और भगवान शिव की आरती पढ़ें। रात्रि जागरण में भगवान शिव की चार आरती का विधान आवश्यक माना गया है। शिव पुराण का पाठ भी कल्याणकारी है।


चेतावनी: भगवान शंकर पर अर्पित किया गया नैवेद्य, खाना निषिद्ध माना गया है। त्रयोदशी के दिन एक समय आहार ग्रहण कर चतुर्दशी के दिन व्रत करना चाहिए।


विशेष: बेल पत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं। इसका चिकना भाग शिविंलग से स्पर्श करना चाहिए। नील कमल भगवान शिव का प्रिय पुष्प माना गया है। अन्य फूलों में कनेर, आक, धतूरा, अपराजिता, चमेली, नाग केसर, गूलर आदि के फूल चढ़ाए जा सकते हैं।


जो पुष्प वर्जित हैं वे हैं- कदंब, केवड़ा
 

ध्यान रखें: महाशिवरात्रि के दिन काले तिलों सहित स्नान करके व व्रत रख कर रात्रि में भगवान शिव की विधिवत आराधना करना कल्याणकारी माना जाता है। दूसरे दिन  मिष्ठान्नादि सहित ब्राह्मणों तथा शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों को भोजन देने के बाद ही स्वयं भोजन करना चाहिए। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News