इन बातों को ध्यान में रखकर बनाएं योजनाएं, खुशियों में नहीं लगेगी सेंध

punjabkesari.in Tuesday, Sep 19, 2017 - 12:05 PM (IST)

अपने जीवन की शुरूआत उत्साह के साथ करते हैं लेकिन थोड़े समय बाद वे निराश हो जाते हैं। जीवन में बहुत बाद में उन्हें यह भी लगता है कि उन्होंने जीवन की शुरूआत ठीक तरह से नहीं की या अपने लिए लक्ष्य का निर्धारण ठीक से नहीं किया। मगर यह जीवन को ठीक से नहीं देख पाने का नतीजा है। उदाहरण के लिए ग्रीक योद्धा अलैक्जैंडर बहुत ही महत्वाकांक्षी था। उसका लक्ष्य था कि वह दुनिया पर जीत हासिल करे। मगर मनुष्य की अपनी सीमाएं हैं और अलैक्जैंडर की 32 वर्ष की उम्र में अपने गृहराज्य से 3000 कि.मी. दूर बेबीलोन में मृत्यु हो गई। 

ऐसा ही कुछ हिटलर के साथ भी हुआ। हिटलर भी महत्वाकांक्षी व्यक्ति था। उसने पूरे यूरोप पर आधिपत्य करने का इरादा किया और इस इच्छा को पूरा करने के लिए उसने युद्ध का सहारा लिया। यह युद्ध जल्दी ही द्वितीय विश्वयुद्ध में बदल गया। हिटलर अपने सपने को पूरा नहीं कर पाया और 56 वर्ष की उम्र में उसने एक बंकर में आत्महत्या कर ली। इस तरह के कई उदाहरण हमें मिल जाएंगे।  

आज के समय में वर्तमान पल में जीने का फार्मूला काफी लोकप्रिय हुआ है। मैं ऐसे कई लोगों को जानता हूं जो इसी फार्मूले पर जिंदगी जी रहे हैं। हालांकि शुरूआत में वे बहुत खुश रहते हैं लेकिन जल्दी ही उन्हें लगता है कि वे अपने जीवन के लक्ष्यों को पाने में नाकाम रहे हैं। आखिरकार वे हताशा का शिकार हो जाते हैं और किसी गंभीर बीमारी के जाल में फंस कर जीने की उम्मीद ही खो बैठते हैं। जीवन का सही फार्मूला तो यही है जिसमें व्यक्ति अंत तक संतुष्टि महसूस करे।

जीवन में कोई भी योजना अपनी योग्यता और क्षमता को ध्यान में रखकर बनानी चाहिए। उत्साह में आकर बनाए महत्वाकांक्षी लक्ष्य लोगों की खुशियों में सेंध लगाने लगते हैं और बोझ बन जाते हैं। इसलिए जब भी जिंदगी के लक्ष्य तय किए जाएं तो सारी चीजों पर नजर रखें। अगर आप बिना वास्तविकता को जाने योजना बनाएंगे तो मुश्किल में फंस जाएंगे। इस तरह की योजना गले का फंदा बन जाती हैं। हमारी हताशा की जड़ में हमारा अति-महत्वाकांक्षी होना भी छिपा होता है। इसके प्रति सावधान रहने से जीवन बेहतर होगा।


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