अनहोनी को होनी में बदलता है शुभ मुहूर्त, मांगलिक कार्य-नए कारोबार में रखें ध्यान

punjabkesari.in Monday, Feb 19, 2018 - 10:24 AM (IST)

प्रसिद्ध उद्योगपति हैनरी फोर्ड का जन्म अमेरिका के डियरबर्न गांव में हुआ था। हैनरी फोर्ड की मां का देहांत वह 13 वर्ष का भी नहीं हुआ था तभी हो गया था। हैनरी का मां से अत्यंत लगाव था। उसने कहा कि मेरे साथ बहुत बड़ा अन्याय किया गया। दुनिया के धन कुबेरों में खड़ा होने वाला एक किसान पुत्र अपनी मां के आदेशों को महत्व देता रहा है। एक दिन वह अपने पिता के साथ घोड़ा गाड़ी पर बैठ कर जा रहा था तो उसे एक भाप से चलने वाला इंजन अपनी तरफ आता दिखा। उस भाप के इंजन ने रुक कर घोड़ा गाड़ी को आगे जाने दिया। तब तक हैनरी उतर कर उस इंजन के बारे में बात करने लगा।


हैनरी के उद्योगपति बनने की जीवन गाथा बस यहीं से शुरू होती है। उसे यह विश्वास हो गया कि इंजन के रूप में मेरा भाग्य मुझे मिल गया। 1882 में हैनरी ने जेम्स फ्लावर एंड ब्रदर्स मशीन शॉप में काम किया। फिर उसने डेट्रायड हाई डॉक कम्पनी में काम किया। लगभग 30 वर्ष की उम्र तक पिता की खेतीबाड़ी में भी काम करता रहा। वह बिगड़े इंजनों को ठीक भी करने लगा था। उसने वेस्टिंग हाऊस कम्पनी में नौकरी की और गांवों में जाकर कम्पनी की मशीनों को ठीक करता था। 


फोर्ड मोटर कम्पनी के संस्थापक हैनरी फोर्ड जोकि अमेरिका के विख्यात उद्योगपति भी थे, वह उद्योगों की स्थापना में शुभ मुहूर्त पर काफी जोर देते थे। हैनरी फोर्ड ने फोर्ड मोटर कम्पनी की स्थापना के पूर्व 12 उद्योगों की शुरूआत की, किंतु उन्हें इन उद्योगों में अपेक्षित सफलता नहीं मिली। नतीजतन उनके द्वारा शुरू किए गए ये उद्योग (कारखाने या उत्पादन संस्थान) बंद हो गए। फोर्ड यह सोच कर बहुत चिंतित रहने लगे कि अपने तमाम प्रयासों और कठिन मेहनत के बावजूद उन्हें निराशा क्यों हाथ लग रही है।


संयोगवश उनकी भेंट विश्व विख्यात भविष्यवेत्ता ‘कीरो’ से हुई। फोर्ड ने अपनी समस्या ‘कीरो’ के सम्मुख प्रस्तुत की। कीरो ने कहा कि आपके पुरुषार्थ और आपकी व्यावसायिक रणनीति में कोई चूक नहीं है। आपसे चूक सिर्फ इतनी ही हुई है कि आपने अपने विभिन्न उद्योगों की स्थापना के लिए गलत समय या मुहूर्त या साइत का चयन किया। द्रष्टव्य है कि ‘कीरो’ को भारतीय मुहूर्त विद्या की कोई जानकारी नहीं थी। बावजूद इससे उसने अपने अंक शास्त्र की गणना के अनुसार फोर्ड को सुझाव दिया था कि वह अपने बड़े उद्योगों की स्थापना शनिवार के दिन पडऩे वाले किसी भी महीने की 1,10, 19 तारीखों को करें। फोर्ड ने कीरो का यह परामर्श मानकर अमल करना शुरू किया। देखते ही देखते एक दशक के अंदर फोर्ड ने अपनी जिन दस नई औद्योगिक कम्पनियों की स्थापना की वे सभी सफल रहीं। इन दस कम्पनियों में फोर्ड मोटर कम्पनी भी शामिल थी।


मुहूर्त क्या है?
ज्योतिष की मान्यता के अनुसार मुहूर्त वह शब्द है जो दिवस के समय औसतन प्रति 45 मिनट में परिवर्तित होता रहता है। इस प्रकार समूचे दिन-मान की व्याख्या में लगभग 13 मुहूर्तों की गणना की जाती है जो तिथियों के अनुसार तथा विभिन्न नक्षत्रों पर आधारित होते हैं।


किसी भी उद्योग की स्थापना करते समय या उसकी शुरूआत करते समय विभिन्न ग्रहों की स्थितियों पर भी दृष्टिपात करना आवश्यक है। किसी भी उद्योग की स्थापना में चार प्रधान ग्रहों का सर्वाधिक महत्व है। पहला शनि, जिसके आधार पर सरकारी या गैर-सरकारी वित्तीय संस्थाओं का सहयोग तथा उद्योग के लिए पर्याप्त धन उपलब्धता का आकलन किया जाता है फिर बृहस्पति जिसके आधार पर उद्योग के उत्पादन की उपादेयता और लोकप्रियता का आकलन किया जाता है और तीसरा है मंगल जो व्यावसायिक प्रबंध की स्थितियों का विश्लेण करता है।


उपर्युक्त ग्रहों का किसी उद्योगपति की कुंडली में बलवान होना आवश्यक है क्योंकि जहां चंद्रमा उद्योग की भावी दिशा का द्योतक है, वहीं शुक्र उसकी समृद्धि का। ज्योतिष के अनुसार दो पक्ष शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष होते हैं। इन दोनों पक्षों का निर्धारण चंद्रमा की गति के अनुसार होता है। प्रत्येक पक्ष 15 दिन का होता है।


किसी पक्ष की पहली, पष्ठी या एकादशी तिथि को नंदा तिथि कहते हैं। इन तिथियों पर शुक्रवार है तो इसे उद्योगों की स्थापना के लिए शुभ माना जाता है। इसी तरह द्वितीय, सप्तमी व द्वादशी तिथि को भद्रा तिथि कहते हैं। उस दिन यदि बुधवार हो तो इसकी गणना भी उद्योगों की स्थापना के लिए शुभ मानी जाती है। इसी प्रकार तृतीय अष्टमी, त्रयोदशी तिथियों को जया कहते हैं। यदि इन तिथियों पर मंगलवार पड़ जाए तो वह भी शुभ मुहूर्त माना जाता है।


चतुर्थी, नवमी एवं चतुर्दशी को रिक्ता तिथि कहते हैं। किसी भी उद्योग की स्थापना अथवा शुभ काम के लिए ये तिथियां निषिद्ध समझी जाती हैं किंतु पंचमी, दशमी एवं पूर्णमासी को यदि बृहस्पतिवार हो तो उन्हें शुभता का सूचक समझा जाता है।


कार्य नाश योग
उद्योगों की स्थापना व किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत के समय कार्यनाश योग (मृत्यु योग) को हर कीमत पर टालना चाहिए। रविवार को 1, 7, 10 तिथि, बृहस्पतिवार को 4, 9, 15 तिथि, शुक्रवार को 2, 6, 12 तिथि तथा शनिवार को 5, 10, 15 तिथि पडऩे से कार्य नाश योग बनता है। अर्थात इन तिथियों में शुरू किया गया कार्य प्राणघातक भी साबित हो सकता है।


नक्षत्र विशेष की स्थितियों से भी उद्योग में शुभाशुभ का विचार किया जाता है। उदाहरण स्वरूप रविवार के दिन भरणी नक्षत्र, बुधवार को धनिष्ठा, बृहस्पतिवार को उत्तराफाल्गुनी, शुक्रवार को ज्येष्ठा और शनिवार को रेवती होने से दुग्ध योग (आग लगने का योग) होता है। इस दौरान शुरू किए गए उद्योग कालांतर में अग्रिकांड, विस्फोट या किसी दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। रविवार को मघा, सोमवार को विशाखा, मंगलवार को आद्र्रा, बुधवार को मूल, बृहस्पतिवार को कृतिका, शुक्रवार को रोहिणी और शनिवार को हस्त नक्षत्र होने पर यमघंट योग बनता है। यमघंट में शुरू किया गया कोई भी कार्य फलीभूत नहीं होता। कई बार तो यह भी देखा गया है कि इस दुर्योग में शुरू किया गया उद्योग तो क्या उद्योगपति ही काल के गाल में समा जाता है।


सिद्धियोग
व्यावसायिक कार्यों में सफलता के लिए सर्व सिद्धियोग का भी अपना एक विशिष्ट महत्व है। शुभ मुहूर्त निकालते समय वार और नक्षत्र के परिप्रेक्ष्य में इस योग को देखा जाना चाहिए। रविवार को हस्त, मूल, उ.भा., पुष्य, अश्विनी, सोमवार को श्रवण, रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा, मंगलवार को अश्विनी, अनुराधा, कृतिका, बुधवार को रोहिणी, अनुराधा, हस्त, कृतिका, मृगशिरा, बृहस्पतिवार को रेवती, अनुराधा, अश्विनी, पुष्य, शुक्रवार को रेवती, अनुराधा, अश्विनी, पुनर्वसु, श्रवण और शनिवार को श्रवण, रोहिणी व स्वाति नक्षत्र के पडऩे पर सर्व सिद्धियोग बनता है किंतु सर्वसिद्धियोग काल पर भी विचार कर लेना आवश्यक है। निषिद्ध काल में जातक का जन्म नक्षत्र, मास और जन्म तिथि (अंग्रेजी महीने और तिथि वाली नहीं) भद्रा, वैधृति योग, क्षय तिथि यानी अधिकमास, माता-पिता और दादा के मरने की तिथि, अमावस्या आदि की गिनती की जाती है। जहां तक हो सके, इन तिथियों पर किसी नए शुभ कार्य की शुरूआत से बचना चाहिए।


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