क्या आप जानते हैं भगवान विष्णु से संबंधित ये तीन रहस्य

punjabkesari.in Thursday, Mar 08, 2018 - 10:39 AM (IST)

हिंदू पौराणिक ग्रंथों में श्रीहरि को पूरे ब्राह्माण्ड का देवता कहा गया है। पौराणिक कथाओं की मानें तो श्रीहरि के दो चेहरों के बारे में बात कही गई है। एक तरफ वह शांत सुखद और कौमल के रूप में दिखाई देते हैं। वहीं दूसरी ओर वें शेषनाग पर आसन लेकर विराजमान है, इस रूप में उनका चेहरा कुछ विभिन्न प्रतीत होता है। 


भगवान विष्णु जी के बारे में शास्त्रों में पढ़ने को मिलता है-
”शान्ताकारं भुजगशयनं”


भगवान विष्णु के इस रूप को देखकर पहली बार में हर किसी के मन में यह विचार आता है कि सांप के राजा शेषनाग के ऊपर विराज कर कोई इतना शांत स्वभाव कैसे हो सकता है। तो आईए जानें कि विष्णु जी से संबंधित कुछ एेसी ही बातें-


शेषनाग पर विराजने का भगवान विष्णु का राज यह है
प्रत्येक व्यक्ति का जीवन कर्तव्यों और जिम्मेदारियों से भरा पड़ा होता है। इन सब में सबसे अहम कर्तव्यों में शामिल परिवार, सामाजिक और आर्थिक जिम्मेदारी होती है, जिन्हें पूरा करने के लिए उसके प्रयासों के साथ कई मुसीबतों का भी सामना करना पड़ता है। जो शेषनाग की तरह बहुत डरावने होते हैं और चिंता पैदा करते हैं। 


तो भगवान विष्णु का शांत चेहरा इंसान को यह ही प्रेरित करता कि कठिन समय में भी शांति और धैर्य के साथ रहना चाहिए और अपनी मुसीबतों के प्रति शांत दृष्टिकोष ही हमें सफलता हासिल करवा सकते हैं। यही कारण है भगवान विष्णु सांपों के राजा के ऊपर लेटते हुए भी अत्तयंत शांत व मुस्कुराते हुए प्रतीत होते हैं।

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क्यों भगवान विष्णु का नाम “नारायण” और “हरि” है 
हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु के प्रधान भक्त-नारद भगवान विष्णु का नाम जपने के लिए नारायण शब्द का प्रयोग किया करता था उसी समय से भगवान विष्णु के सभी नामों में जैसे अनन्तनरायण, लक्ष्मीनारायण, शेषनारायण इन सभी में विष्णु का नाम नारायण जोड़कर लिया जाने लगा।


कई लोगों को मानना है कि भगवान विष्णु को नारायण के रूप में जाना जाता है लेकिन बहुत कम लोग इसके पीछे के रहस्य को जानते हैं। एक प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार, जल भगवान विष्णु के पैरों से पैदा हुआ था और इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया की भगवान विष्णु के पैर से बाहर आई गंगा नदी का नाम विष्णुपदोदकी के नाम से जाना जाता है।


इसके अलावा, जल “नीर” या ‘नर‘ नाम से जाना जाता है और भगवान विष्णु भी पानी में रहते हैं, इसलिए, ‘नर‘ से उनका नाम नारायण बना, अर्थात पानी के अंदर रहने वाले भगवान।


भगवान विष्णु को हरि नाम से भी जाना जाता है हिंदू शास्त्रों के अनुसार, हरि का मतलब हरने वाला या चुराने वाला इसलिए कहा जाता है “हरि हरति पापणि”।
अर्थात हरि वो देव हैं जो जीवन से पाप और समस्याओं को समाप्त करते हैं और हमेशा माया के चंगुल से वातानुकूलित आत्मा का उद्धार करते हैं।

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भगवान विष्णु के चार हाथ
प्राचीनकाल में जब भगवान शंकर के मन में सृस्टि रचने का उपाए आया तो सबसे पहले उन्होनें अपनी आंतरदृस्टि से भगवान विष्णु को पैदा किया और उनको चार हाथ दिए जो उनकी शक्तिशाली और सब व्यापक प्रकृति का संकेत देते है उनके सामने के दो हाथ भौतिक अस्तित्व का प्रतिनिधित्व करते हैं, पीठ पर दो हाथ आध्यात्मिक दुनिया में अपनी उपस्थिति का प्रतिनिधित्व करते हैं। भगवान विष्णु के चार हाथ अंतरिक्ष की चारों दिशाओं पर प्रभुत्व व्यक्त करते हैं और मानव जीवन के चार चरणों और चार आश्रमों के रूप का भी प्रतीक है, जो हैं-

ज्ञान के लिए खोज (ब्रह्मचर्य ), पारिवारिक जीवन (गृहस्थ), वन में वापसी (वानप्रस्थ), संन्यास

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