Sunday को करें ये उपाय, सूर्य देंगे महालाभ

punjabkesari.in Saturday, Aug 05, 2017 - 07:27 AM (IST)

जन्मकुंडली के विवेचनात्मक अध्ययन से हमें साधारण व सामान्य फलादेश की जानकारी ही प्राप्त हो सकी है। विशेष एवं सटीक फलादेश तो हमें योग से ही प्राप्त होता है। उदाहरणार्थ व्यक्ति धनवान है या गरीब है तो कितना? संतान है या नहीं, है तो कितनी, नहीं है तो क्यों नहीं? इसका कारण भी हमें योग ही बताएगा। इन योगों की निवृत्ति के उपाय भी हैं। ऐसा डाक्टर क्या काम का जो हमें बीमारी तो बता दे पर उसका इलाज नहीं बताता। 


निदान के बिना कोई भी विद्या अधूरी मानी जाएगी। यही हाल ज्योतिषी का है। वह शास्त्र वचनों के अनुसार अरिष्ट कथन तो कर देगा और वह अरिष्ट योग यजमान की कुंडली में बराबर मिल जाएगा। मछली को पानी के बाहर निकालकर छोडऩे से जिस प्रकार मछली तड़पती है ठीक उसी प्रकार से व्याकुलता यजमान को हो जाती है। अत: सूर्य के दुष्परिणामों से बचने के उपाय निम्र है:


सूर्य शांति के विभिन्न उपाय जो बचाएंगे उनके प्रकोप से और देंगे महालाभ
आत्मबल बढ़ाना अभीष्ट हो तथा धन प्राप्ति की विशेष इच्छा हो तो (माणिक युक्त) सूर्ययंत्र सुवर्ण धातु में पहनें।


रविवार का व्रत 5 या 11 या 43 बार रखें।


हरिवंश पुराण की कथा करना या सुनें, सूर्य को मीठा डालकर अर्घ्य देें।


कनक, गुड़, तांबा आदि का दान करें।


चाल-चलन ठीक रखें।


माणिक्य (लाल) धारण करें, माणिक्य के अभाव में रातड़ी या तांबा पहनें।


गुड़ बहते पानी में बहाएं।


घर का दरवाजा पूर्व की ओर रखें।


बंदर को गुड़ और चना दें या बंदर का पालन करें।


भूरी चीटिंयों को शक्कर डालें (सूर्यास्त से पहले)।


उच्च राजकर्मियों की सेवा करें।


चारपाई के पायों में तांबे की कोल गाड़ें।


ब्लैक मार्कीटिंग करने वाले/स्मगलर या सटोरियों से मित्रता न करें।


सूर्य उच्च का हो तो सूर्य की चीजों का दान न दें।


सूर्य नीच का हो तो सूर्य की चीजों का दान न लें।


रविवार दोपहर में केवल दही भात का सेवन करें।


रवि के मंत्रों के जाप किसी ब्राह्मण से कराएं।


11 अथवा 21 रविवार तक कमल के लाल फूलों को गणपति भगवान पर चढ़ाएं।


स्वर्ण पात्र में जल पिएं। ताम्र पात्र में रात्रि में गारनेट और केसर डालकर जल भर दें। प्रात: सूर्य को अर्घ्य देकर वहीं पी जाएं।


सूर्य के होरा में निर्जल उपवास करें।


सूर्य पीड़ा की विशेष शांति के लिए इलायची चावल, खस, मधु, अमलतास, कमल, कुमकुम, मेनसिल और देवदार मिलाकर 7 रविवार तक स्नान करें अथवा कनेर, दुपहरिया, नागरमोथा मिलाकर 7 रविवार तक स्नान करें।


यदि संतान बाधा कारक ग्रह सूर्य है तो समझना चाहिए कि भगवान शंकर और गरुड़ से द्रोह करने के कारण या पितरों के शाप के कारण जातक को संतान सुख ही है। अत: सूर्य के वेदोक्त मंत्रों के साथ हजार जप एवं तत्संबंधित वस्तुओं का दान तथा सूर्य को अर्घ्य देते हुए रविवार को नियमित व्रत रखें। हरिवंश पुराण के अनुसार ऐसे जातक को सिद्धिप्रद देवी की स्थापना करनी चाहिएं।


घर में सुवर्ण (बिन्दु) युक्त श्रीयंत्र स्थापित करें एवं श्रीसूक्त के पंद्रह मंत्रों का नियमित पाठ करें। 


सूर्य कृत समस्त अरिष्टों के शमनार्थ सूर्य मंत्र का विधिवत अनुष्ठान एवं आदित्य हृदय स्तोत्र (वाल्मीकि कृत रामायण से) पाठ सर्वोत्तम और अमोघ है। इससे समस्त शारीरिक व्याधियां, शत्रु बाधा, विभागीय और सरकारी कार्य, विवाद आदि में निश्चित लाभ मिलता है।


सूर्य यदि पाप ग्रहों के साथ हो, विशेष रूप में शनि या राहु की युति में हो तो विधिवत रुद्राभिषेक करें या कराएं।


सूर्य कृत साधारण अरिष्टों में नवग्रह कवच सहित सूर्य कवच एवं शर्तनाम साधन केरं तो सर्व अरिष्ट नाशक होता है।


संक्रांति के दिन तुलादान भी सूर्य शांति में लाभदायक है।


प्रश्न मार्ग के अनुसार बाधक स्थान में सूर्य होने से शिव एवं भूत आदि के कोप से रोग होते हैं अत: उन्हें अर्चना से प्रसन्न करना चाहिए। स्त्री राशि में सूर्य होने पर भगवती की आराधना करनी चाहिए। हवन एवं दान प्रत्येक अनुष्ठान में आवश्यक है, इन्हें करना चाहिए।


सूर्य को प्रसन्न करने के लिए सूर्योदय के समय जब आधा ही सूर्य निकले तो लाल पुष्प डाल कर सूर्य को नियमित अर्घ्य दें।


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