थिएटर फैस्टीवल शगुफे-2017 शुरू, लोगों के दिलों से युवा ने निकाला राजा का खौफ

punjabkesari.in Sunday, Jul 02, 2017 - 12:31 AM (IST)

चंडीगढ़, (रश्मि): पंजाब कला भवन में शनिवार से तीन दिवसीय थिएटर फैस्टीवल शगूफे-2017 शुरू हो गया। फैस्टीवल का आयोजन हरियाणा कला परिषद चंडीगढ़ और इंपैक्ट आर्ट्स के सहयोग से किया जा रहा है। इसके तहत तीन दिन अलग-अलग नाटक मंचित किए जाएंगे। पहले दिन नाटक ‘जब रोशनी होती है’ का मंचन किया गया। नाटक एक राजा और उसकी प्रजा पर आधारित है। नाटक सरदार गुरशरण का लिखा हुआ है। जबकि निर्देशन बनिंद्र जीत सिंह बन्नी ने किया।

नाटक में दिखाया है कि एक राजा अपनी प्रजा को हर समय डरा कर रखता है। वह हमेशा समझता है कि यदि लोग उससे डर रहे हैं तो ही उसकी सत्ता कायम है। वह कई बुरे काम भी करता है। एक युवा राजा की सोच को समझ जाता है। वह लोगों को समझाने की कोशिश करता है कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं। राजा जो बोलता है वह सही नहीं है। इस पर राजा उसे डराता है। युवा लोगों का डर दूर करने का उपाय सोचता है। राजा का कहना था कि एक चबूतरे पर चढऩे से आदमी मर जाएगा। युवा लोगों को एक एक  करके चबूतरे पर चढ़ जाता है। जब वह चढ़ता है तो वह मरता नहीं है। इससे लोगों के दिलों का डर खत्म हो जाता है।

लोग समझ जाते हैं और राजा का बहिष्कार कर देते हैं। इस पर राजा डर कर खुद ही देश छोड़ कर भाग जाता है। इस दौरान निर्देशक बन्नी ने बताया कि नाटक में उन लोगों पर व्यंग्य किया गया है जो अपने अहंकार में चूर रहते है। उन्हें लगता है कि उनसे अच्छा और समझदार कोई नहीं। इसी कारण से वह दूसरों को बेवकूफ बनाते हैं लेकिन जब कोई समझदार आ जाता है तो उसका जीना और उस समाज में रहना भी मुश्किल हो जाता है।

नाटक में निखिल मेहता, विवेक रॉय, बलविंद्र सिंह, तमन्ना, गुरकीरत सिंह, सौरव, हितेश कुमार, रवितेज सिंह, गुरसेवक, हरमन शेरगिल, शिवम जसल, मोहित, सरलीन शामिल रहे।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News