टैगोर थिएटर में मंचित हुआ ‘सखाराम’, दिखाई पुरुष की संकीर्ण मानसिकता

punjabkesari.in Thursday, Apr 27, 2017 - 03:34 PM (IST)

चंडीगढ़, (आशीष): पुरूष की संकीर्णता को दर्शाते हुए नाटक सखाराम बांइडर का मंचन हुआ। यह नाटक सैक्टर-18 स्थित टैगोर थिएटर में पेश किया गया। नाटक को मराठी के प्रसिद्ध लेखक विजय तेंदुलकर ने 1972 में लिखा था, लेकिन नाटक की कहानी की संकीर्णता को देखते हुए इसे 1974 में प्रतिबंधित भी कर दिया था। नाटक का निर्देशन उमेश कांत ने किया।

नाटक का आरंभ सखाराम नाम के व्यक्ति से होता है। सखाराम एक बुक बाइंडर है। खुद को बहुत ही खुले विचारों वाला मानता है। उसका मानना है कि एक महिला बिना शादी के उसके साथ रहे। वह पूरी तरह से आजाद रहेगी। मात्र उसकी जरूरत उसे पूरी करनी है। इसके अलावा जब भी वह चाहे सखाराम को छोड़कर जा सकती है। वह उसे किसी प्रकार से रोक-टोक नहीं करेगा। उल्टा महिला को रोटी, साड़ी और आने-जाने के लिए 50 रुपए मासिक भी देगा। उसके जीवन में एक महिला आती है। जिसका नाम लक्ष्मी है। लक्ष्मी बहुत ही गरीब घर से है। वह सखाराम के साथ रहना शुरू कर देती है, लेकिन एक दिन ऐसा आता है जब उसे चंपा नाम की एक औरत मिल जाती है जोकि बहुत ही खुले विचारों वाली होती है। सखाराम लक्ष्मी को चंपा के लिए छोड़ देता है। 

 

लक्ष्मी को रात के समय घर से धक्के मारकर निकाल देता है। चंपा के साथ रहते हुए अभी कुछ ही दिन बीते थे कि चंपा को किसी अन्य पुरूष से प्यार हो जाता है। वह उस पुरूष के साथ मिलकर सखाराम की दौलत के लिए उसकी हत्या कर देती है। नाटक में पुरूष और महिला के विचारों को सुदंरता के साथ पेश किया है। कार्यक्रम में हरियाणा के एडिशनल चीफ सैक्रेटरी कृण्णा मोहन मुख्यातिथि के रूप में मौजूद रहे। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News