सावधान : सर्वे में चौकाने वाला खुलासा, शहर के 73 प्रतिशत बच्चे इस बीमारी से हैं ग्रस्त

punjabkesari.in Friday, Mar 31, 2017 - 08:47 AM (IST)

चंडीगढ़(पाल) : अक्सर बच्चे होमवर्क न करने के लिए थकावट व नींद आने का बहाने बनाते हैं लेकिन आपका बच्चा भी अगर यह बोल रहा है तो वह बहाना न होकर एनिमिया भी हो सकता है। एनिमिया (खून की कमी) रोग फीमेल में ज्यादा पाया जाता है लेकिन शहर के 73 प्रतिशत बच्चे इन दिनों एनिमिया का शिकार है। नैशनल फैमिली हैल्थ सर्वे द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आया है कि शहर में 9 माह से लेकर 4 वर्ष 11 माह तक के बच्चे एनिमिया ग्रस्त हैं। 

 

अगर 15 से 49 वर्ष की महिलाओं में एनिमिया की बात करें तो इसका प्रतिशत 75.9 है जो काफी ज्यादा है। वहीं 15 से 49 वर्ष के पुरुषों में एनिमिया का प्रतिशत 19.3 है। नैशनल हैल्थ मिशन की डाक्टर मंजू बहल की मानें तो बच्चों में इतनी मात्रा में एनिमिया होना चिंता का विषय है। लेकिन इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह हमारा बदलता खानपान है। एनिमिया आज एक लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारी बन गई है। लोग फास्ट फूड च्यादा खाते हैं जो इस बीमारी के होने के मुख्य कारणों में से एक है। साथ ही उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं में इसका आंकड़ा 42 प्रतिशत है। 

 

स्कूलों में है बच्चों के लिए कई प्रोग्राम :
डा. बहल ने बताया कि बच्चों में एनिमिया दूर करने के लिए शहर के स्कूलों में वक्त-वक्त पर कई प्रोग्राम चलाए गए हैं, जिसमें उन्हें आयरन की गोलियां दी जाती हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि न सिर्फ स्कूलों में, बल्कि डिस्पैंसरी व सिविल अस्पतालों में भी बच्चों को मुफ्त दवाइयां दी जाती हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए भी हैल्थ सैंटर्स में एनिमिया के लिए मुफ्त दवाइयों देने की सुविधाएं हैं। 

 

हैल्दी ब्लड सैल हो जाते हैं कम :
हमारे शरीर में जब हैल्दी रैड ब्लड सैल (आर.बी.सी.) कम हो जाते हैं तो वक्त व्यक्ति को एनिमिया हो जाता है। जो शरीर के लिए काफी परेशानी पैदा करता है, क्योंकि इन सैल में हीमोग्लोबिन होता है जो शरीर के उत्तकों को ऑक्सीजन देता है। 

 

लक्षण : 
थकावट या शरीर में एनर्जी कम रहना, छाती में दर्द, सिर दर्द, सांस लेने में तकलीफ, दिल की धड़कन तेज या धीमी गति से चलना।


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