PPF खाता समय से पहले बंद करने की अनुमति देने का प्रस्ताव

punjabkesari.in Wednesday, Feb 14, 2018 - 10:39 AM (IST)

नई दिल्लीः सरकार ने लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) खाता समय से पहले बंद करने की सुविधा देने तथा नाबालिग के नाम पर लघु बचत खाता खोलने की अनुमति देने का प्रस्ताव किया है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि वित्त विधेयक 2018 में प्रस्तावित कानूनी बदलावों का मकसद लघु बचत योजनाओं के अंतर्गत आने वाले खातों के परिचालन में लचीलापन लाना है। कुछ मीडिया रिपोर्ट में जताई गई चिंता को दूर करते हुए मंत्रालय ने कहा कि पीपीएफ कानून को दूसरे कानूनों के साथ मिलाते समय मौजूदा सभी संरक्षणों को बरकरार रखी जाएगा।

इसमें कहा गया है, ‘‘जमाकर्ताओं को इस समय पीपीएफ में जो लाभ मिल रहे हैं, उसे इस प्रक्रिया के जरिए वापस लेने का कोई प्रस्ताव नहीं है।’’ सरकारी बचत प्रमाणपत्र कानून, 1959 और लोक भविष्य निधि कानून, 1968 को सरकारी बचत बैंक कानून 1873 के साथ विलय का प्रस्ताव है।’’ मंत्रालय के मुताबिक, ‘‘प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य जमाकर्ताओं के लिए क्रियान्वयन को आसान बनाना है क्योंकि उन्हें लघु बचत योजनाओं (एसएसएस) के प्रावधानों को समझने के लिए अलग-अलग नियमों तथा कानूनों को देखना होता है। साथ ही निवेशकों के लिए कुछ लचीलापन लाना है।’’ उसने कहा कि लघु बचत योजनाओं से संबद्ध विभिन्न कानून और नियमों में मौजूदा अस्पष्टताओं को  दूर करने तथा ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के लक्ष्य को और मजबूत करने के लिए दो कानूनों को सरकारी बचत बैंक कानून, 1873 में विलय का प्रस्ताव किया गया है। इसमें गंभीर बीमारी के इलाज तथा उच्च शिक्षा समेत अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए लघु बचत योजनाओं को समय से पहले बंद करने का विकल्प दिया जाएगा।

विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘प्रस्तावित विधेयक में किए गए प्रावधानों के तहत एक अन्य लाभ यह है कि लघु बचत योजनाओं में निवेश नाबालिग के नाम से भी किया जा सकता है।’’ विधेयक में जमाकर्ताओं को किसी आपात स्थिति में पीपीएफ खाता पांच साल से पहले बंद करने की अनुमति देने का प्रस्ताव है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘सभी योजनाओं के संदर्भ में समय से पहले खातों को बंद करने को लेकर विशिष्ट योजना अधिसूचना के जरिए प्रावधान किया जा सकता है।’’ फिलहाल पीपीएफ खाता समय से पहले यानी पांच वित्त वर्ष पूरा होने से पहले बंद नहीं किया जा सकता है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘लघु बचत योजनाओं के मामले में संशोधन के जरिए ब्याज दर और कर नीति में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। कुछ लघु बचत योजनाओं को बंद करने की आशंका आधारहीन है।’’    


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