रूई बाजार में मंदी का सिलसिला जारी

punjabkesari.in Monday, Feb 19, 2018 - 01:21 PM (IST)

जैतोः उत्तर भारत के प्रमुख कपास पैदावार राज्यों जिनमें पंजाब, हरियाणा व राजस्थान की मंडियां शामिल हैं, में अब तक लगभग 44 लाख गांठ से अधिक आई हैं जोकि बीते वर्ष से अधिक हैं। यह जानकारी अंतर्राष्ट्रीय स्पिनिंग ग्रुप आर.टी.एम.-सी.टी.एम. के  सी.पी.ओ. एन.के. सोनी ने दी। राजस्थान टैक्सटाइल मिल्ज बिड़ला टैक्सटाइल्ज मिल के एन.के. सोनी अनुसार अंतर्राष्ट्रीय रूई मांग को देखते हुए ऐसा लगता है कि चालू कपास सत्र के दौरान 55 लाख गांठ से कम निर्यात होगा।

उत्तर क्षेत्रीय राज्यों में अब तक आई कुल 44,07,500 गांठों में से सबसे अधिक हरियाणा में 17,56,0000 गांठ पहुंचीं, जबकि लोअर राजस्थान 10,60,000 गांठ, श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ सर्कल 8,38,000 गांठ व पंजाब 7,53,500 गांठ कपास आई है। पिछले दिनों बिना ठोस वजह से करीब 300 रुपए मन रूई आसमान पर चढ़ बैठी जिसने भाव 4550 रुपए मन बना दिए लेकिन अब रूई भाव 4155 से 4175 रुपए मन हो गए हैं। भाव लुढ़कने की वजह अभी तक सामने नहीं आई है। रूई बाजार में इस हफ्ते भी मंदी का धीमी गति से लगातार सिलसिला जारी रहा। बीते हफ्ते की तुलना में 90-100 रुपए मन रूई भावों में गिरावट आई है। रूई मंदडिय़ों की धारणा है कि रूई भावों में और गिरावट आएगी। एक कपास जिनर के अनुसार रूई के भाव नीचे में 4000 रुपए मन भी बन सकते हैं। रूई बाजार लगातार डुबकी लगा रहा है। यह रूई स्टाकिस्टों के लिए शुभ संकेत नहीं है।

55 लाख गांठों का अनसोल्ड स्टाक
बाजार जानकारों का कहना है कि देश में 50 से 55 लाख गांठों का विभिन्न स्टाकिस्टों जिनमें भारतीय  कपास निगम (सी.सी.आई.), कपास जिनर, माल्टीनैशनल कम्पनियां, रूई ट्रेडर्स आदि शामिल हैं, के पास अनसोल्ड रूई स्टाक माना जा रहा है। रूई बाजार की तेजी ने रूई भाव 4550 रुपए मन बना दिए।  तेजडिय़ों को रूई 5000 रुपए मन से अधिक के सपने आने लगे लेकिन रूई तेजी की लाइन ऐसी फिसली कि लगभग सभी तेजडिय़ों (रूई स्टाकिस्टों) को आर्थिक तौर पर घायल कर दिया है क्योंकि रूई के ऊपरले भावों में से लगभग 400 रुपए मन डूब चुके हैं। भारतीय रूई बाजार में 400 रुपए मन डूबने को तूफानी मंदी माना जाता है।

रूई बाजार लुढ़कने की वजह
रूई बाजार में पिछले महीनों के दौरान में तेजी का तूफान आने से रूई निर्यातकों में भारी हलचल मच गई। जानकारों के अनुसार तेजी के कारण 5 लाख गांठों के सौदे रद्द करने पड़े। सूत्रों के अनुसार बाजार में मंदी का कारण यह भी बना है क्योंकि एक तो 5 लाख गांठों के सौदे रद्द हुए और दूसरी तरफ और गांठों का नया व्यापार (निर्यात) होना था जो ठंडे बस्ते में चला गया। फिलहाल रूई निर्यातक बाजारों से गायब नजर आ रहे हैं।


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