क्या भारतीय तिरंगा कराची से आएगा

punjabkesari.in Sunday, Jan 07, 2018 - 03:35 AM (IST)

बड़े दिनों की छुट्टियों में प्रतिदिन अढ़ाई से 3 लाख लोग अटारी बॉर्डर पर होने वाली विशेष ‘बीटिंग द रिट्रीट सैरेमनी’ देखने पहुंचे थे। ‘भारत माता की जय’ तथा ‘वंदे मातरम्’ के जयकारे लगाते व बी.एस.एफ. जवानों का हौसला बढ़ाते हुए सभी आयु वर्ग के लोग इस खास माहौल का हिस्सा बनते देखे जाते हैं। यह समारोह सूर्यास्त से पहले होता है परंतु बच्चियां 3 बजे से ही देशप्रेम के गीतों पर नाचते हुए तिरंगा फहराती देखी जा सकती हैं। 

वाघा-अटारी बॉर्डर पर शाम को दोनों देशों के राष्ट्रीय ध्वज उतारने का यह समारोह 1959 से संयुक्त रूप से आयोजित हो रहा है। लाहौर से 32 किलोमीटर दूर स्थित वाघा दोनों देशों के मध्य माल के आयात-निर्यात का ट्रांजिट टर्मिनल तथा रेलवे स्टेशन है। इससे 3 किलोमीटर दूर भारतीय सीमा में है अटारी। ये दोनों स्थान ग्रांड ट्रंक रोड पर स्थित हैं जहां पर रैडक्लिफ रेखा दोनों देशों की सीमा तय करती है। 

अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर अन्य स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज उतारने की रस्म जहां एक साधारण समारोह के रूप में होती है, वहीं अटारी बॉर्डर पर होने वाली ‘बीटिंग द रिट्रीट सैरेमनी’ बेहद व्यापक तथा जोशीले अंदाज में की जाती है। जवान बेहद जोश में कदमताल करते और पैरों को ऊंचा उठा कर जोर से जमीन पर मारते हुए पाक जवानों को घूरते हुए मंूछों को ताव देते दिखाई देते हैं। कमाल की बात है कि दोनों देशों के जवान एक साथ रोजाना इसका अभ्यास करते हैं परंतु जब भी दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव बढ़ जाता है, जैसा कि इस वक्त है, उनकी ड्रिल में और ज्यादा आक्रामकता दिखाई देने लगती है। 

हालांकि, बी.एस.एफ. जवानों के लिए ऐसी नाटकीय परेड करना जरूरी नहीं है, फिर भी वे ऊंची-ऊंची किक तथा जोर से जमीन पर पैर मारने से एडिय़ों तथा घुटनों में चोट लगने के जोखिम के बावजूद ऐसा करते हैं। भारत की ओर से समारोह की शुरूआत दो महिला अफसर करती हैं। सप्ताह में तीन बार पाक की ओर से भी महिलाएं समारोह का नेतृत्व करती हैं। इसके बाद ड्रिल्स होती हैं और सूर्यास्त से पूर्व दोनों देशों के ध्वज उतारे जाते हैं। दोनों देशों के अफसरों के हाथ मिलाने के बाद अगली सुबह तक के लिए गेट बंद हो जाते हैं। परंतु 14 अगस्त के बाद से पाक अफसर केवल हाथ ही नहीं मिलाते, कुछ कहते भी हैं। जैसे  ‘‘तो कब आ रहा है झंडा?’’ ‘‘कहीं वह इस्त्री करने या सिलने के लिए तो नहीं दिया है?’’ कई बार ताने ज्यादा तीखे हो जाते हैं। जैसे ‘‘कहो तो हम कराची से सिलवा लाएं तुम्हारा झंडा, जहां पाकिस्तानी झंडा बनता है। हम कोई पैसा भी नहीं लेंगे।’’ 

दरअसल, ये ताने भारत में सबसे ऊंचे (360 फुट) तथा सबसे बड़े (120-180 फुट विशाल) तिरंगे को लेकर कसे जाते हैं जिसे अटारी बॉर्डर पर मार्च 2017 में लगाया गया था। इस प्रतियोगी राष्ट्रवादिता की शुरूआत 35 करोड़ रुपए की लागत से भाजपा नेता अनिल जोशी ने की थी जब वह पंजाब सरकार में मंत्री थे। हालांकि, पहले-पहले पाक रेंजरों ने इसका विरोध किया परंतु जल्द ही उन्होंने इसके जवाब में एशिया का सबसे ऊंचा (400 फुट) ध्वज लगा दिया। परंतु भारत का सबसे ऊंचा ध्वज गत 3 महीनों से फहराता दिखाई नहीं दे रहा है क्योंकि लगाने के बाद से ही यह तेज हवाओं के चलते 4 बार फट गया और जिस सिटी इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट पर इसकी देखरेख की जिम्मेदारी है, उसका कहना है कि वह बार-बार नए ध्वजों का खर्च उठाने में असमर्थ है। 

ऐसे में बी.एस.एफ. के हमारे जवान शांत रह कर अपने पाक समकक्षों के ताने सह रहे हैं। हालांकि, बी.एस.एफ. ने ध्वज की देखरेख स्वयं करने का प्रस्ताव भी दिया है। पाकिस्तान का झंडा जो लगातार लहरा रहा है, कहा जा रहा है कि इसके लिए पाक ने चीन की मदद ली और उसकी तकनीक से ही इलाके के भूगोल तथा हवाओं की दिशा का अध्ययन करने के बाद अपने ध्वज को स्थापित किया। उनके ध्वज के खम्भे में एक लिफ्ट भी लगी है जिसमें चार लोग बैठ सकते हैं। इसमें सवार होकर पाक रेंजर ऊंचाई से भारतीय इलाके को दूर तक देख सकते हैं।  ऐसे में बात जासूसी की नहीं क्योंकि वह तो अब ताकतवर सैटेलाइट कैमरा कर ही रहा है। उनका यह दावा ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उन्होंने अपना ध्वज पैराशूट वाले मैटीरियल से तैयार किया है। 

असल समस्या फंड, तकनीक या कारीगरी की कमी नहीं है, इसकी वजह केवल जिला प्रशासन तथा राज्य सरकार का उदासीनता भरा नजरिया है। मुम्बई की फर्म ‘फ्लैग शॉप’ दिल्ली के कनॉट प्लेस के लिए ‘डेनियर पोलिस्टर’ नामक पोलिस्टर कपड़े से ध्वज बनाती तथा नियमित रूप से उसे बदलती तथा साफ करती है। हालिया खबरों के अनुसार सिटी इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट ने देश के सबसे ऊंचे ध्वज की देखरेख के लिए विभिन्न कम्पनियों से निविदाएं आमंत्रित की हैं परंतु सिटी इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट किसी कम्पनी का खर्चा उठा पाएगा या फिर हमारा झंडा केवल 15 अगस्त और 26 जनवरी को ही लहराया जाएगा जैसा कि अब आदेश है?-आभा चोपड़ा


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