‘ बंतुल द ग्रेट’ के सृजक और कार्टूनिस्ट नारायण देबनाथ का निधन

punjabkesari.in Wednesday, Jan 19, 2022 - 08:47 AM (IST)

कोलकाता, 18 जनवरी (भाषा) कार्टूनिस्ट और बंगाली कॉमिक किरदार ‘ बंतुल द ग्रेट’ , ‘ हांडा-भोंदा’ और ‘नोंते फोंते’ के सृजक नारायण देबनाथ का मंगलवार की सुबह कोलकाता के एक अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया।
देबनाथ को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था और वह 97 साल के थे।
उनके परिवार ने बताया कि इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती पद्म श्री से सम्मानित देबनाथ ने पूर्वाह्न 10 बजकर करीब 15 मिनट पर आखिरी सांस ली।
उन्हें स्वास्थ्य खराब होने पर 24 दिसंबर को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और वह जीवनरक्षक प्रणाली (वेंटिलेटर) पर थे।
देबनाथ ने अपने करीब छह दशक के करियर में कॉमिक पात्र जैसे ‘ बंतुल द ग्रेट’, हांडा-भोंदा’ और ‘नोंते फोंते’ गढ़े थे जो बांगली घरों में जाना पहचाना नाम है।
उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देबनाथ ने अपने काम, कार्टून और चित्रों से कई लोगों की जिंदगी रोशन की।
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘उनका काम उनकी बौद्धिक ताकत को प्रतिबिंबित करता है। उनके द्वारा गढ़े गए पात्र हमेशा लोकप्रिय रहेंगे। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।’’
उल्लेखनीय है कि देब साहित्य कुटीर द्वारा प्रकाशित बच्चों की बंगाली पत्रिका ‘सुकतारा’ में उनकी पहली कॉमिक स्ट्रीप ‘ हांडा-भोंदा’ वर्ष1962 में छपी थी।इसके बाद वर्ष 1965 में ‘ बंतुल द ग्रेट’ और वर्ष 1969 में ‘ नोंते-फोंते’ का प्रकाशन हुआ।
देबनाथ 93 साल की उम्र तक काम करते रहे और वर्ष 2017 में सुकतारा के दुर्गा पूजा संस्करण में उनका आखिरी कॉमिक स्ट्रीप ‘नोंते-फोंते’ प्रकाशित हुआ।

देबनाथ का जन्म हावड़ा के शिबपुर में एक आभूषण कारोबारी परिवार में हुआ था। बचपन से ही वह गहनों के डिजाइन बनाने को उत्साहित रहते थे जिसने परिवार को स्कूली पढ़ाई के बाद उनका प्रवेश कोलकाता के राजकीय कला महाविद्यालय में कराने के लिए प्रेरित किया।
देबनाथ ने परिवार का कारोबार बढ़ाने के लिए बीच में ही कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी, लेकिन जल्द ही उन्होंने दोबारा चित्रकारी शुरू की। देबनाथ ने देब साहित्य कुटीर के संपर्क में आने से पहले कुछ विज्ञापन एजेंसियों के लिए फ्रीलांसिंग, फिल्मों की स्लाइड और लोगो बनाने का काम किया।
देबनाथ को वर्ष 2021 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया,लेकिन वह दिल्ली इसे ग्रहण करने नहीं जा सके। राज्य के गृह सचिव बीपी गोपालिका और सहकारिता मंत्री अरुप रॉय ने गत बृहस्पतिवार को पदक और प्रशस्तिपत्र देबनाथ को अस्पताल में जाकर दिया था। उन्हें वर्ष 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और उसी साल पश्चिम बंगाल सरकार ने बंग विभूषण से सम्मानित किया था।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि देबनाथ का निधन साहित्यिक रचनात्मकता और कॉमिक जगत के लिए बड़ी क्षति है। धनखड़ पिछले महीने देबनाथ के घर भी गए थे।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शोक संदेश में देबनाथ के निधन को विशाल क्षति बताया।
देबनाथ के छोटे बेटे तपस देबनाथ ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि वह सरकार से उनके कार्यों को संरक्षित रखने में मदद का आह्वान करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं सरकार से आह्वान करता हूं कि वह मेरे पिता के कार्यों को संरक्षित रखने में मदद करे जो भावी पीढ़ी के लिए खजाना है।’’
देबनाथ के निधन की खबर मिलने के बाद कोलकाता के महापौर फिरहाद हकीम अस्पताल गए और दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की।
देबनाथ के पार्थिव शरीर को नजदीकी शमशान भूमि में दाह संस्कार के लिए ले जाने से पहले उनके शिबपुर घर ले जाया गया।


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