विद्यासागर की जयंती शिक्षक दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा करें : बंगाली संगठन की ममता से मांग
punjabkesari.in Saturday, Sep 25, 2021 - 07:17 PM (IST)

कोलकाता, 25 सितंबर (भाषा) बंगाली उपराष्ट्रवाद को बढ़ावा देने का कार्य करने वाले संगठन ‘बांग्ला पोक्खो’ ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर समाज सुधारक ईश्वरचंद्र विद्यासागर की जयंती 26 सितंबर को राज्य में शिक्षक दिवस के तौर पर मानाने की घोषणा करने की मांग की है।
संगठन का दावा है कि उसके द्वारा लिखे पत्र पर कवि जॉय गोस्वामी, शिक्षाविद पवित्र सरकार, भारतीय इतिहास के विशेषज्ञ नरसिंह प्रसाद भादुड़ी, गायक रूपम इस्लाम, विश्वभारती के पूर्व कुलपति सबुजकाली सेन सहित कई प्रख्यात बंगाली हस्तियों ने हस्ताक्षर किए हैं।
संगठन ने कहा, ‘‘ ईश्वरचंद्र विद्यासागर प्रगतिशाली सोच के अगुआ थे। उन्होंने आधुनिक और समकालीन शिक्षा की नींव रखी। उनकी किताब ‘वर्णोपरिचय’ के जरिये हमारे बच्चों ने दुनिया को जाना।’’
संगठन की अपील पर भादुड़ी ने कहा, ‘‘विद्यासागर अग्रणी थे जिनके पास संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य के नाते पाठ्यक्रम में अंग्रेजी को शामिल करने की दूरदर्शिता थी। उन्होंने ‘वर्णोपरिचय’ में संस्कृत के शब्दों को बच्चों के लिए अधिक समझने योग्य बनाया। इसलिए इसमें कोई दो राय नहीं है कि उनकी जयंती हमारी शिक्षा प्रणाली में उनके योगदान को सम्मान देने के रूप में मनायी जानी चाहिए।’’
गौरतलब है कि देश में पांच सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर शिक्षक दिवस दिवस मनाया जाता है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
संगठन का दावा है कि उसके द्वारा लिखे पत्र पर कवि जॉय गोस्वामी, शिक्षाविद पवित्र सरकार, भारतीय इतिहास के विशेषज्ञ नरसिंह प्रसाद भादुड़ी, गायक रूपम इस्लाम, विश्वभारती के पूर्व कुलपति सबुजकाली सेन सहित कई प्रख्यात बंगाली हस्तियों ने हस्ताक्षर किए हैं।
संगठन ने कहा, ‘‘ ईश्वरचंद्र विद्यासागर प्रगतिशाली सोच के अगुआ थे। उन्होंने आधुनिक और समकालीन शिक्षा की नींव रखी। उनकी किताब ‘वर्णोपरिचय’ के जरिये हमारे बच्चों ने दुनिया को जाना।’’
संगठन की अपील पर भादुड़ी ने कहा, ‘‘विद्यासागर अग्रणी थे जिनके पास संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य के नाते पाठ्यक्रम में अंग्रेजी को शामिल करने की दूरदर्शिता थी। उन्होंने ‘वर्णोपरिचय’ में संस्कृत के शब्दों को बच्चों के लिए अधिक समझने योग्य बनाया। इसलिए इसमें कोई दो राय नहीं है कि उनकी जयंती हमारी शिक्षा प्रणाली में उनके योगदान को सम्मान देने के रूप में मनायी जानी चाहिए।’’
गौरतलब है कि देश में पांच सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर शिक्षक दिवस दिवस मनाया जाता है।
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