चुनाव बाद हिंसा पर ममता की चुप्पी उनकी संलिप्तता बताती है : नड्डा

punjabkesari.in Thursday, May 06, 2021 - 12:31 AM (IST)

कोलकाता, पांच मई (भाषा) भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने बुधवार को दावा किया पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में हुई हिंसा में कम से कम 14 भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई जबकि करीब एक लाख लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव परिणाम आने के बाद बाद भाजपा कार्यकर्ताओं की ‘‘नृशंस हत्या’’ के मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चुप्पी उनकी संलिप्तता बताती है।

नड्डा ने यह आरोप भी लगाया कि हिंसा के दौरान राज्य के कई हिस्सों में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने महिलाओं के साथ बलात्कार किया।

विधानसभा चुनाव के परिणाम दो मई को आए थे और तृणमूल कांग्रेस को 213 सीटों पर विजय हासिल हुई। 294 सदस्यीय राज्य विधानसभा की 292 सीटों पर मतदान हुआ था।

यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा, ‘‘ममता बनर्जी की चुप्पी (हिंसा पर) उनकी संलिप्तता बताती है। उनके हाथों पर खून लगा है।’’
‘‘राज्य प्रायोजित हिंसा’’ का आरोप लगाते हुए भाजपा अध्यक्ष ने दावा किया कि 80,000 से एक लाख के करीब लोग चुनाव नतीजों के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों से अपने घर छोड़ चुके हैं।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भाजपा के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया। यह राज्य द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम है। हम हरसंभव लोकतांत्रिक तरीके से लड़ाई लड़ेंगे।’’
दक्षिण चौबीस परगना जिले की कैनिंग पूर्व विधानसभा में भाजपा कार्यकर्ताओं पर अत्याचार करने और गांवों में तोड़फोड़ करने का आरोप लगाते हुए नड्डा ने कहा कि वहां के लोगों ने पहले अम्फान का अत्याचार झेला और इस साल ‘‘ममताफान’’ का।

उन्होंने दावा किया कि उत्तर बंगाल जिले के लोग अपनी जान बचाने के लिए पड़ोसी राज्य असम भागने पर मजबूर हुए हैं।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जान बचाकर गए लोगों को असम में आश्रय एवं आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ ममता बनर्जी ने चुनाव तो जीत लिया, लेकिन मानवता हार गई है।’’
नड्डा ने कहा कि बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा ने बंटवारे के दौरान 16 अगस्त 1947 को हुई भयानक हिंसा एवं हत्याओं की याद ताजा कर दी।
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा राज्य में अनुच्छेद 356 लागू करने की मांग करेगी, उन्होंने कहा कि इस बारे में राज्यपाल रिपोर्ट तैयार करते हैं और फिर केंद्रीय एजेंसियां और केंद्रीय गृह मंत्रालय उसकी समीक्षा करते हैं और तब जाकर एक निर्णय लिया जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए निर्णय लेने का काम उनका है।’’
अनुच्छेद 356 के तहत यदि कोई राज्य सरकार संवैधानिक प्रावधानों के तहत काम करने में विफल होती है तो केंद्र सरकार वहां राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकती है। ऐसी स्थिति में सत्ता की बागडोर राज्यपाल के हाथ में होती है।

नड्डा ने कहा, ‘‘जहां तक भाजपा का सवाल है, भले ही यह उपयुक्त मामला (356 लागू करने का) हो लेकिन हम लोग लोकतांत्रिक तरीके से लड़ने वाले लोग हैं।’’


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

PTI News Agency

Recommended News