कांग्रेस सांसद ने ममता से कृषि कानूनों को नकारने के लिए विधानसभा के जरिए कानून बनाने का अनुरोध किया
punjabkesari.in Tuesday, Sep 29, 2020 - 08:35 PM (IST)
कोलकाता, 29 सितंबर (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य प्रदीप भट्टाचार्य ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अनुरोध किया कि वह किसानों के हितों की रक्षा के वास्ते और केंद्र द्वारा पारित ''''कृषि विरोधी'''' कानून को नकारने के लिए विधानसभा के माध्यम से एक कानून बनाएं।
बनर्जी को लिखे एक पत्र में भट्टाचार्य ने दावा किया कि तीन नए कृषि कानून यदि लागू किए जाते हैं तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और इसके कारण किसानों का शोषण होगा जबकि कॉरपोरेट घरानों का इस क्षेत्र पर ''''कब्जा'''' हो जाएगा।
कांग्रेस नेता ने कहा, '''' मेरा आपसे अनुरोध है कि केंद्र सरकार के किसान विरोधी कानूनों को यहां लागू करने से रोकने की पहल करें।''''
भट्टाचार्य ने पत्र में कहा कि कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी शासित सभी राज्य सरकारों को केंद्र के इन कानूनों को नकारने के वास्ते संविधान के अनुच्छेद 254 (2) के तहत विधानसभा में कानून बनाने के लिए संभावनाएं तलाशने का सुझाव दिया है।
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने भी दावा किया है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा विपक्ष के विरोध को नजरअंदाज करके लाए गए इन कानूनों से बड़े कॉरपोरेट को मदद मिलेगी और देश में खाद्य संकट पैदा होगा।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
बनर्जी को लिखे एक पत्र में भट्टाचार्य ने दावा किया कि तीन नए कृषि कानून यदि लागू किए जाते हैं तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और इसके कारण किसानों का शोषण होगा जबकि कॉरपोरेट घरानों का इस क्षेत्र पर ''''कब्जा'''' हो जाएगा।
कांग्रेस नेता ने कहा, '''' मेरा आपसे अनुरोध है कि केंद्र सरकार के किसान विरोधी कानूनों को यहां लागू करने से रोकने की पहल करें।''''
भट्टाचार्य ने पत्र में कहा कि कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी शासित सभी राज्य सरकारों को केंद्र के इन कानूनों को नकारने के वास्ते संविधान के अनुच्छेद 254 (2) के तहत विधानसभा में कानून बनाने के लिए संभावनाएं तलाशने का सुझाव दिया है।
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने भी दावा किया है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा विपक्ष के विरोध को नजरअंदाज करके लाए गए इन कानूनों से बड़े कॉरपोरेट को मदद मिलेगी और देश में खाद्य संकट पैदा होगा।
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