भारत में एडविना को मिली असली खुशी

Monday, Sep 18, 2017 - 11:58 AM (IST)

नई दिल्ली: एक बार शॉपिंग से लौटी एडविना माऊंटबेटन को उनके बंगले की हाऊसकीपर ने कहा था कि उनके 5 चहेते पुरुष उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। उसने बताया, ‘‘मि. ग्रे ड्राइंग रूम में हैं, मि. सैंडफोर्ड लाइब्रेरी में, मि. फिलिप्स निजी बैठक, सेनोर पोर्तागो एंटीरूम में आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं... और सच में मुझे समझ नहीं आ रहा कि मि. मोलीनीऊक्स को कहां बिठाऊं।’’ 

साफ है कि उस वक्त पुरुषों में एडविना को लेकर किस तरह की दीवानगी थी और वह भी तब, जबकि वह ब्रिटेन के सबसे खास लोगों में से एक लॉर्ड लूईस माऊंटबेटन की पत्नी थी, जो ब्रिटेन के राजा के संबंधी और विश्वस्त होने के साथ-साथ ब्रिटिश नौसेना के कप्तान थे। यूं तो इस दंपत्ति का जीवन चकाचौंध से भरा था परंतु वास्तव में दोनों की जिंदगी एक-दूजे से एकदम अलग थी। एडविना बेहद खूबसूरत तो थी हीं, उन्हें सैर-सपाटा और पार्टीबाजी भी खूब पसंद थी, जबकि नौसेना की जिम्मेदारियों की वजह से लूईस अक्सर लंबे वक्त तक घर और एडविना से दूर रहते थे। ऐसे में एडविना को अन्य पुरुषों से दोस्ती से कभी परहेज नहीं रहा और शायद लूईस ने भी अपनी पत्नी की इन हरकतों को नजरअंदाज करना सीख लिया था। हालांकि, लूईस माऊंटबेटन के भी अन्य महिलाओं के साथ संबंध रहे थे। 

एडविना ने सबसे पहले लॉर्ड मोलीनीऊक्स के साथ अफेयर शुरू किया, इसके बाद एक रईस अमेरिकी लैड्डी सैंडफोर्ड फिर एक अखबार के मैनेजर माइक वार्डेल  के साथ उसका अफेयर था। कभी-कभी तो एक के बाद एक वह तीनों  से मिलती थीं। इन चाहने वालों को एडविना अपने ‘गिन्क्स’ (मूर्ख आदमी) कहती थीं और अपने प्रति उनकी दीवानगी उन्हें रोमांचित करती थी। हालांकि, लूईस तथा एडविना दोनों के दिलों में एक-दूजे के लिए प्यार कम नहीं था और इसी की बदौलत उनका रिश्ता बचा रहा। जब विश्व युद्ध के पश्चात लॉर्ड लूईस माऊंटबेटन को भारत का अंतिम वायसराय बना दिया गया तो अपने पति के साथ एडविना भी भारत आ गई। भारत आते ही उन्हें इस देश से गहरा लगाव हो गया तथा जवाहरलाल नेहरू और उनमें दोस्ती होने में भी ज्यादा वक्त नहीं लगा। उनके बीच संबंधों को लेकर अक्सर कई तरह की बातें होती रही हैं परंतु एडविना की बेटी पामेला हिक्स माऊंटबेटन के अनुसार जवाहरलाल नेहरू और एडविना माऊंटबेटन एक-दूसरे से प्यार करते थे और सम्मान करते थे लेकिन उनका संबंध कभी जिस्मानी नहीं रहा। 

‘डॉटर ऑफ एम्पायर  लाइफ एज ए माऊंटबेटन’ नामक किताब में पामेला ने अपनी मां से जुड़ी कई बातें लिखी हैं। ब्रिटेन में पामेला की यह किताब 2012 में प्रकाशित हुई थी जिसे गत दिनों पेपरबैक की शक्ल में भारत में प्रकाशित किया गया था। तब उनकी बेटी पामेला करीब 17 साल की थी और उन्होंने अपनी मां और नेहरू के मध्य ‘गहरे संबंध’ विकसित होते देखे। पामेला का कहना है, ‘‘उन्हें नेहरू जी में वह सच्चा साथी, आत्मिक समानता और बुद्धिमत्ता मिली जिसकी उन्हें तलाश थी। उन्हें भारत तथा नेहरू जी से अपनी दोस्ती से वह शांति और असली खुशी नसीब हो सकी जिसकी उन्हें हमेशा से चाहत रही थी।’’ अपनी मां को लिखे नेहरू जी के पत्र को पढऩे के बाद पामेला को एहसास हुआ था कि ‘वह और मेरी मां किस कदर एक-दूसरे से प्रेम और सम्मान करते थे।’ 

किताब में पामेला लिखती हैं, ‘‘इस तथ्य से बिल्कुल परे कि मेरी मां या नेहरू जी के पास जिस्मानी संबंधों के लिए समय नहीं था, दोनों विरले ही अकेले होते थे। उनके आसपास हमेशा कर्मचारी, पुलिस और अन्य लोग मौजूद रहते थे।’’ भारत से जाते हुए एडविना अपनी पन्ने की अंगूठी नेहरू को भेंट करना चाहती थीं। लेकिन उन्हें पता था कि वह स्वीकार नहीं करेंगे इसलिए उन्होंने अंगूठी उनकी बेटी इंदिरा को दी और कहा यदि वह कभी भी वित्तीय संकट में पड़ते हैं तो उनके लिए इसे बेच दें क्योंकि वह अपना सारा धन बांटने के लिए प्रसिद्ध हैं।’’

Advertising