घर में यह पौधा होने पर नहीं करते यमदूत प्रवेश

punjabkesari.in Thursday, Jul 21, 2016 - 03:14 PM (IST)

तुलना संभव न हो ऐसी ‘तुलसी’ का नाम उसकी अतिशय उपयोगिता को सूचित करता है। तुलसी जी का पूजन, दर्शन, सेवन व रोपण आधिदैविक, आधिभौतिक और आध्यात्मिक- तीनों प्रकार के तापों का नाश कर सुख-समृद्धि देने वाला है। अत: विश्व मानव तुलसी के अद्भुत गुणों का लाभ लेकर स्वस्थ, सुखी, समानित जीवन की ओर चले और वृक्षों के अंदर भी उसी एक परमात्मा-सत्ता को देखने के भारतीय संस्कृति के महान दृष्टिकोण से अपने भावों को दिव्य बनाएं। तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्य बल व आरोग्यबल बढ़ता है। मानसिक अवसाद, आत्महत्या की प्रवृत्ति आदि से रक्षा होती है और समाज को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि विज्ञान का लाभ मिलता है। 
 
तुलसी एक, नाम अनेक 
हर जगह आसानी से उपलब्ध होने से इसे ‘सुलभा’ भी कहा जाता है। यह गांवों में अधिक मात्रा में होती है अत: ‘ग्राया’ भी कहलाती है। शूल का नाश करने वाली होने से इसे ‘शूलघ्नी’ भी कहा जाता है।
 
महौषधि तुलसी
तुलसी का स्पर्श करने मात्र से वह शरीर को पवित्र बनाती है और जल देकर प्रणाम करने से रोगों की निवृत्ति होने लगती है और वह व्यक्ति नरक में नहीं जा सकता। तुलसी के 5-7 पत्ते चबाकर खाएं व कुल्ला करके वह पानी पी जाएं तो वात, पित्त और कफ दोष निवृत्त होते हैं, स्मरण शक्ति और रोग प्रतिकारक शक्ति भी बढ़ती है तथा जलोदर-भगंदर की बीमारी नहीं होती। तुलसी कैंसर को नष्ट करती है।
 
तुलसी माला को गले में धारण करने से शरीर में विद्युत तत्व या अग्नि तत्व का संचार अच्छी तरह से होता है। ट्यूमर आदि बन नहीं पाता तथा कफ जन्य रोग, दमा, टी.बी. आदि दूर ही रहते हैं। जीवन में ओज-तेज बना रहता है, रोग प्रतिकारक शक्ति सुदृढ़ बनी रहती है।
 
तुलसी के बीज का उपयोग पेशाब संबंधी और प्रजनन संबंधी रोगों तथा मानसिक बीमारियों में होता है। तुलसी के पत्तों का अर्क (10 प्रतिशत) जहरीली दवाइयों के दुष्प्रभाव से यकृत की रक्षा करता है, अल्सर मिटाता है तथा रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ाता है। तुलसी का अर्क जीवाणुओं और फफूंद को नष्ट करता है।
 
तुलसी की जड़ें अथवा जड़ों के मनके कमर में बांधने से स्त्रियों को, विशेषत: गर्भवती स्त्रियों को लाभ होता है। प्रसव-वेदना कम होती है और प्रसूति भी सरलता से हो जाती है।
 
कहावत है : जिसके घर तुलसी और गाय, रोग न उसके घर पर जाय।
 
तुलसी पूजन क्यों?
 
‘स्कंद पुराण’ के अनुसार जिस घर में तुलसी का बगीचा होता है (एवं प्रतिदिन पूजन होता है), उसमें यमदूत प्रवेश नहीं करते।’
 
‘पद्म पुराण’ में आता है कि ‘कलियुग में तुलसी का पूजन, कीर्तन, ध्यान, रोपण और धारण करने से वह पाप को जलाती है और स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करती है।’
 
‘पद्म पुराण’ के उत्तर खंड में आता है कि कैसा भी पापी, अपराधी व्यक्ति हो, तुलसी की सूखी लकडिय़ां उसके शव के ऊपर, पेट पर, मुंह पर थोड़ी-सी बिछा दें और तुलसी की लकड़ी से अग्नि शुरू करें तो उसकी दुर्गति से रक्षा होती है। यमदूत उसे नहीं ले जा सकते।
 
‘गरुड़ पुराण’ (धर्म कांड-प्रेत कल्प : 38.99) में आता है कि ‘तुलसी का पौधा लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान, स्पर्श और गुणगान करने से मनुष्यों के पूर्व जन्मार्जित पाप जल कर विनष्ट हो जाते हैं।’
 
‘मृत्यु के समय जो तुलसी-पत्ते सहित जल का पान करता है वह सपूर्ण पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक में जाता है।’ (ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंड : 21.43) 
 
दरिद्रता मिटाने व सुख-सपदा पाने हेतु 
 
* ‘जो दारिद्रय मिटाना व सुख-संपदा पाना चाहता है उसे शुद्ध भाव व भक्ति से तुलसी के पौधे की108 परिक्रमा करनी चाहिए।’ 
 
* ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने से बरकत होती है।

 


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