गणेशोत्सव पर स्थापित करें गणेश जी की खास मूर्त, व्यापार में लाती है उछाल

Friday, Sep 02, 2016 - 03:42 PM (IST)

गणेशोत्सव पर बहुत सारे घरों में बप्पा का स्वरूप लाया जाता है और दस दिन के बाद उसका विसर्जन कर दिया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की मूर्त लाकर उसे अपनी दुकान, कार्यस्थान अथवा घर पर सदा के लिए विराजित कर सकते हैं। इससे व्यापार में उछाल आएगा।
 
गणेश जी की सभी मूर्तियां सीधी या उत्तर की आेर सूंड वाली होती हैं। मान्यता है कि गणेश जी की मूर्त जब भी दक्षिण की आेर मुड़ी हुई बनाई जाती है तो वह टूट जाती है। कहा जाता है कि यदि संयोगवश आपको दक्षिणावर्ती मूर्त मिल जाए और उसकी विधिवत उपासना की जाए तो अभिष्ट फल मिलते हैं। गणपति जी की बाईं सूंड में चंद्रमा का और दाईं में सूर्य का प्रभाव माना गया है। 
 
प्राय: गणेश जी की सीधी सूंड तीन दिशाआें से दिखती है। जब सूंड दाईं आेर घूमी होती है तो इसे पिंगला स्वर और सूर्य से प्रभावित माना गया है। एेसी प्रतिमा का पूजन विघ्न-विनाश, शत्रु पराजय, विजय प्राप्ति, उग्र तथा शक्ति प्रदर्शन जैसे कार्यों के लिए फलदायी माना जाता है। 
 
वहीं बाईं आेर मुड़ी सूंड वाली मूर्त को इड़ा नाड़ी व चंद्र प्रभावित माना गया है। एेसी  मूर्त  की पूजा स्थायी कार्यों के लिए की जाती है। जैसे शिक्षा, धन प्राप्ति, व्यवसाय, उन्नति, संतान सुख, विवाह, सृजन कार्य और पारिवारिक खुशहाली। 
 
सीधी सूंड वाली मूर्त का सुषुम्रा स्वर माना जाता है और इनकी आराधना रिद्धि-सिद्धि, कुण्डलिनी जागरण, मोक्ष, समाधि आदि के लिए सर्वोत्तम मानी गई है। संत समाज एेसी मूर्त की ही आराधना करता है। सिद्धि विनायक मंदिर में दाईं आेर सूंड वाली मूर्त है इसीलिए इस मंदिर की आस्था और आय आज शिखर पर है। 
 
इन बातों का भी रखें ध्यान
* घर या ऑफिस की उत्तर दिशा की दीवार पर घी मिश्रित सिंदूर से स्वस्तिक बनाने से वास्तुदोष का प्रभाव कम होता है।
 
* घर या ऑफिस में श्रीगणेश का स्वरूप लगते समय यह ध्यान रखें की उनका मुंह दक्षिण-पश्चिम दिशा में न हो। 
 
* ध्यान रहे कि चित्र या प्रतिमा में चूहा और लड्डू अवश्य हो। 
 
* घर में बैठे तथा व्यवसायिक स्थल पर खड़े गणेश का स्वरूप लगाएं। खड़े गणेश जी के दोनों पैर जमीन पर हों। 
 
* घर की उत्तर पूर्व दिशा में गणेश जी का स्वरूप लगाना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है । 
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