सीढि़यों की संख्या को लेकर चिंतित न हों
punjabkesari.in Thursday, Jan 29, 2015 - 09:39 AM (IST)

भवन में छत या ऊपर की मंजिल पर जाने के लिए सीढि़यों की आवश्यकता होती है। पुराने समय में सीढि़यां ठोस बनाई जाती थी। जो नीचे से खाली नहीं होती थी। इस प्रकार ठोस बनी सीढि़यां बहुत भारी हो जाती हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार नैऋत्य कोण को भारी रखना चाहिए इसलिए सीढि़यों को यहां बनाना उचित है क्योंकि इसके अलावा उस समय सामान्यतः घर में ऐसा कोई निर्माण नहीं होता था जो सीढि़यों से अधिक भारी हो।
आजकल सीढि़यां बनाते समय सामान्यतः सभी लोग एक गलती करते हैं, जिससे एक महत्वपूर्ण वास्तुदोष उत्पन्न हो जाता है। वह यह कि कुछ लोग पहली, दूसरी सीढ़ी के नीचे ईंटे लगाकर ठोस बना देते हैं। उदाहरण के लिए ईशान कोण में सीढि़यां बनाई और पहली एक-दो सीढ़ी ठोस बना दी तो इस कारण ईशान कोण घर के बाकी फर्श से ऊंचा हो जाता है। ईशान कोण का ऊंचा होना एक महत्वपूर्ण वास्तुदोष है। ध्यान रहे यहां ईशान कोण में सीढि़यां होना वास्तुदोष नहीं है, किन्तु पहली व दूसरी सीढ़ी ठोस होना वास्तुदोष जरूर है।
सीढ़ी बनाते समय ध्यान रखें सीढ़ी ऊपर वाली मंजिल के लिए प्रवेशद्वार है। अतः ऊपरी मंजिल पर वास्तुनुकूल निर्माण के लिए द्वार के वास्तु सिद्धान्तों का पालन करना होगा।
वास्तुशास्त्र के अनुसार सीढि़यां हमेशा क्लाकवाइज बनानी चाहिए। इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है कि, दुनिया में पेड़ों पर ऊपर चढ़ने वाली जितनी भी बेल एवं लताएं हैं, वह सभी क्लाकवाइज ही ऊपर चढ़ती हैं कभी भी एण्टी क्लाकवाइज ऊपर नहीं चढ़ती। सीढि़यां क्लाकवाइज ही बनाएं।
सीढि़यों की संख्या क्या हो इस पर वास्तुशास्त्र के पुराने ग्रन्थों में दो मत मिलते हैं। एक के अनुसार सीढि़यां विषम संख्या 3, 5, 7, 9 या 11 में बनाई जानी चाहिए तथा दूसरे मतानुसार सीढि़यों की संख्या इतनी होनी चाहिए कि, सीढि़यों की संख्या में 3 का भाग देने पर 2 शेष रहें जैसे - 5, 8, 17 सीढि़यां। इसके पीछे अलग-अलग तर्क हैं परन्तु सबसे प्रभावी तर्क जो है वह यह है कि आदमी दाएं पैर को सबसे पहले रखते हुए घर के अंदर प्रवेश करें। मेरे अनुभव में आया है कि, भवन की सीढि़यों की संख्या से कोई फर्क नहीं पड़ता फर्क पड़ता है कि, भवन में गड्ढे, मुख्यद्वार, इत्यादि कहां हैं। अतः सीढि़यों की संख्या को लेकर चिंतित न हों।
- वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा
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