बद्रीवन में लगाए गये हैं बद्री तुलसी, भोजपत्र जैसे पौधे

punjabkesari.in Sunday, Oct 18, 2020 - 07:48 PM (IST)

देहरादून, 18 अक्टूबर (भाषा) उत्तराखंड वन विभाग द्वारा प्रसिद्ध बदरीनाथ मंदिर के पास विकसित ''बद्रीवन'' में उस क्षेत्र के अनुकूल स्थानिक प्रजातियों जैसे बद्री तुलसी, बद्री फल, ब्रदी वृक्ष तथा भोजपत्र के पौधे लगाए गए हैं जो पर्यटकों को आकृष्ट करने के अलावा उनकी जानकारी भी बढ़ाएंगे।

वन विभाग की शोध शाखा के मुख्य संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि बदरीनाथ मंदिर के रास्ते में राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक एकड़ से अधिक जमीन पर विकसित बद्रीवन में सभी प्रजातियों के पौधों के साथ ही स्टील के साइनबोर्ड भी लगे हैं जिनपर हिंदी और अंग्रेजी में पौधे से जुडी सभी जानकारियां भी हैं।

वन अधिकारी ने बताया कि बद्री वृक्ष के फलों और पत्तियों में एक विशेष प्रकार की खुश्बू होती है और उनसे धूपबत्ती बनायी जाती है। बौद्ध धर्म में भी पवित्र माने जाने वाले इस वृक्ष में कई औषधीय गुण हैं और इनका आयुर्वेद में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, इसकी लकड़ी का उपयोग फर्नीचर बनाने, ईंधन और चारकोल के रूप में तथा पेंसिल बनाने में भी होता है।

उन्होंने बताया कि इसकी नयी टहनियों का इस्तेमाल गुर्दे की समस्याओं को दूर करने में किया जाता है।

इसके अलावा, चतुर्वेदी ने बताया कि बदरीनाथ क्षेत्र में पाया जाने वाला भोजपत्र का पेड़ भी काफी महत्वपूर्ण है। पुराने जमाने में उसकी छाल का उपयोग लिखने में तथा औषधि बनाने में किया जाता है।

उन्होंने बताया, ‘‘प्राचीन समय में बदरीनाथ मंदिर जाने वाले लोग भोजपत्र को अपने पांवों के नीचे बांध लेते थे जिससे उनकी यात्रा आरामदायक रहती थी। इसका उपयोग विभिन्न यंत्र बनाने में भी होता है।’’
इसी प्रकार हिमालय में दो हजार से लेकर 3,700 फीट की उंचाई पर पाई जाने वाली झाड़ी बद्रीफल के बारे में माना जाता है कि घाटी में अपनी तपस्या के दौरान भगवान विष्णु ने यही फल खाए थे।

बदरीनाथ घाटी में बहुतायत से उगने वाली बद्री तुलसी को बदरीनाथ मंदिर में प्रसाद के रूप में चढाया जाता है।

बद्री तुलसी की सुगंध बहुत अच्छी होती है जो लंबे समय तक चलती है। इस प्रजाति के भी बहुत से औषधीय गुण हैं जो कई रोगों के इलाज में उपयोग की जाती है। वन अधिकारी ने बताया कि एक ताजा शोध में पता चला है कि इसमें जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने की अदभुत क्षमता है और सामान्य तुलसी तथा अन्य पौधों के मुकाबले यह 12 प्रतिशत ज्यादा कार्बन सोख सकती है।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Edited By

PTI News Agency

Recommended News

Related News