हल्द्वानी में राम के वनवास से प्रेरित वाटिका का उद्घाटन

Tuesday, Jul 14, 2020 - 08:15 PM (IST)

देहरादून, 14 जुलाई (भाषा) विभिन्न प्रकार के जंगलों से भरपूर भगवान राम के 14 साल के वनवास से प्रेरित होकर उत्तराखंड के हल्द्वानी में एक ‘रामायण वाटिका’ विकसित की गयी है ।


उत्तराखंड के वन संरक्षक (अनुसंधान शाखा) संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि उत्तराखंड वन विभाग के हल्द्वानी स्थिति जैव विविधता पार्क के एक हिस्से के रूप में एक एकड़ क्षेत्र में निर्मित ''रामायण वाटिका'' के दरवाजे मंगलवार को जनता के लिए खोल दिये गये ।
उन्होंने बताया कि महर्षि वाल्मीकि की रामायण में वर्णित 14 साल के वनवास के दौरान राम विभिन्न प्रकार के जंगलों से होकर गुजरे थे और उन सभी को इस उद्यान में बनाया गया है ।
चतुर्वेदी ने बताया कि ''चित्रकूट'', ''दंडकारण्य'', ''पंचवटी'', ''किष्किंधा'', ''अशोक वाटिका'' और ''द्रोणागिरि'' का वर्णन करने वाले महाकाव्य के विभिन्न अध्यायों में वर्णित प्रजातियों को उसी वन परिवेश में उगाया गया है जैसा पुस्तक में वर्णित है।
उन्होंने कहा कि इस तरह से एक विषयगत (थिमेटिक) उद्यान विकसित करने का उद्देश्य लोगों के धार्मिक ग्रंथों के प्रति आकर्षण से उन्हें वन संरक्षण के लिए प्रेरित करना है।
इन सभी वनों के नाम उत्तर प्रदेश के चित्रकूट से शुरू हुए राम के निर्वासन काल से जुड़े हुए हैं ।
चतुर्वेदी ने कहा, “यह आश्चर्यजनक है कि वाल्मीकि कितना जानते थे और इन जंगलों में उनके घनत्व, वन्य जीवन और कुछ पौधों की प्रजातियों को छोड़कर कितना कम बदलाव आया है।” अधिकारी ने कहा, “वाल्मीकि रामायण में वर्णित जंगलों की भौगोलिक स्थिति और प्रजातियों की रचना अभी भी कमोबेश वही है चाहे वह मध्य भारत में दंडकाराण्य में साल और सागौन का उगना हो या वर्तमान कर्नाटक में पड़ने वाले किष्किंधा क्षेत्र में चंदन और रक्तचंदन के पेड़ों का उगना या अशोक वाटिका के वर्णन वाले श्रीलंका के सदाबहार जंगलों में सीता अशोक और नागकेसर के पेड़ों का पाया जाना।” उन्होंने कहा कि रामायण में उस समय के भारत में 139 विभिन्न पौधों की प्रजातियों का उल्लेख है और बगीचे के जरिए महाकाव्य के इस पहलू को छूने का एक प्रयास भर किया गया है । अधिकारी ने कहा, “वनों के प्रकारों के विस्तृत विवरण को देखते हुए रामायण वास्तव में वनस्पति विज्ञानियों के लिए एक आनंद की वस्तु है । यद्यपि यह एक धार्मिक महाकाव्य है लेकिन प्रकृति के वर्णन में भी यह अद्वितीय है।” चतुर्वेदी ने कहा, “अयोध्या से शुरुआत करने और भगवान राम के वनवास के दौरान विभिन्न वन वनस्पतियों के पुन: निर्माण की अनूठी अवधारणा के आधार पर विकसित यह उद्यान देश में अपनी तरह का पहला उद्यान है।”

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PTI News Agency

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