बिहार चुनाव में योगी आदित्यनाथ का जादू, 31 रैलियों ने विपक्ष की निकाल दी हवा; अखिलेश यादव का सपना हुआ चूर-चूर!
punjabkesari.in Saturday, Nov 15, 2025 - 08:07 AM (IST)
UP Politics News: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने भारी बहुमत के साथ शानदार जीत दर्ज की है। इस चुनाव ने ना सिर्फ बिहार की राजनीतिक तस्वीर बदल दी, बल्कि उत्तर प्रदेश के कई बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा पर भी असर डाला। चुनावी नतीजों से यह साफ हुआ कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस चुनाव के सबसे बड़े विजेता रहे। वहीं, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और यूपी के अन्य विपक्षी दलों का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा।
CM योगी आदित्यनाथ ने बढ़ाया एनडीए का ग्राफ
बिहार में प्रचार के दौरान सीएम योगी ने एनडीए उम्मीदवारों के लिए आक्रामक और प्रभावशाली प्रचार किया। शुरुआत में उनके 20 रैलियों का कार्यक्रम था, जिसे बढ़ाकर उन्होंने 31 रैलियों और सभाओं में भाग लिया। इसके अलावा उन्होंने एक रोड शो भी किया। परिणामस्वरूप, उनके प्रचार के तहत 31 में से 27 उम्मीदवार जीतने में सफल रहे। यानी उनका स्ट्राइक रेट 87% से ज्यादा रहा।योगी की रैलियों में जनसैलाब उमड़ पड़ा। कई जगह लोग उन्हें देखने के लिए पेड़ों पर चढ़ गए। उनकी दो तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल रही – एक में वह मंच पर तलवार उठाकर शक्ति प्रदर्शन करते दिखे और दूसरी में लोग पेड़ों पर चढ़कर उन्हें देख रहे थे। एनडीए नेताओं का मानना है कि योगी की लोकप्रियता और आक्रामक चुनावी शैली ने पूरे चुनाव प्रचार को एनडीए के पक्ष में मोड़ दिया।
अखिलेश यादव का प्रचार निराशाजनक
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिहार में 22 सीटों पर महागठबंधन के लिए प्रचार किया। हालांकि, उन्होंने खुद कोई चुनाव नहीं लड़ा। इन 22 सीटों में केवल 2 सीटें ही जीत पाईं। उनका स्ट्राइक रेट मात्र 9% रहा। उनके प्रचार के बावजूद बड़े नेता अपनी सीट नहीं बचा पाए। खासकर छपरा विधानसभा में, जहां भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव के लिए उन्होंने प्रचार किया था, वहां भी खेसारी को हार का सामना करना पड़ा।
बसपा प्रमुख मायावती का प्रदर्शन भी कमजोर
बसपा प्रमुख मायावती ने कैमूर जिले की भभुआ सीट पर प्रचार किया और कुल 5 उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया। इनमें से सिर्फ एक उम्मीदवार जीत सका। दो सीटों पर बसपा उम्मीदवारों की जमानत तक नहीं बच सकी। प्रदेश के अन्य क्षेत्रीय दलों जैसे आजाद समाज पार्टी (चंद्रशेखर आजाद), सुभासपा और स्वामी प्रसाद मौर्य की पार्टी भी अपने उम्मीदवारों की जमानत नहीं बचा पाए।
तीन बंदर वाला बयान बना चुनावी चर्चित मुद्दा
चुनाव प्रचार के दौरान सीएम योगी ने विपक्ष पर हमला किया और राहुल गांधी, अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव को बिना नाम लिए 'पप्पू, टप्पू और अप्पू' कहकर गांधीजी के तीन बंदरों से तुलना की। यह बयान चुनाव का सबसे विवादित मुद्दा बन गया और महागठबंधन की चुनाव रणनीति को प्रभावित किया। विपक्ष इस बयान में उलझ गया और अपने मूल मुद्दों जैसे रोजगार, योजनाएं और नीतीश सरकार की कमियों से भटक गया।
भविष्य की रणनीति के लिए संकेत
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि योगी ने विरोधियों को मुद्दों से दूर रखते हुए व्यक्तिगत और इमोशनल हमलों के जरिए चुनावी मैदान को अपने पक्ष में मोड़ा। यह रणनीति 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी लागू की जा सकती है। बिहार की तरह यूपी में भी सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावना है। अगर बीजेपी इसी तरह प्रभावशाली और आक्रामक प्रचार करती है, तो विपक्ष को डिफेंसिव मोड में आने पर मजबूर किया जा सकता है।
