सूखाग्रस्त राज्यों में यूपी की हालत सबसे खस्ता, 9 करोड़ लोग प्रभावित

Thursday, Apr 28, 2016 - 08:37 PM (IST)

नई दिल्ली: केन्द्र सरकार ने देश के 11 राज्यों के सूखे की स्थिति पर हाथ खड़े कर दिए हैं। राज्यसभा में सूखे पर हुई बहस के दौरान न तो कृषि मंत्री राधामोहन सिंह और न ही जल संसाधन मंत्री उमा भारती सूखाग्रस्त लगभग 15 करोड़ लोगों की राहत के लिए ठोस रोडमैप की जानकारी दे सकीं। बुधवार को दोपहर बाद उच्च सदन में शुरू हुई बहस में शरद पवार ने कहा कि सूखाग्रस्त राज्यों में सबसे भयावह स्थिति उत्तर प्रदेश की है।
 
यूपी के 75 जिलों में से 50 जिले सूखे के प्रकोप में हैं और इससे करीब नौ करोड़ लोग प्रभावित हैं। पवार ने सरकार को आगाह किया कि अगर सूखे का समाधान राजनीति से ऊपर उठकर नहीं किया गया तो हालात और बिगड़ेगें। सभी विपक्षी दलों ने सरकार से मांग की कि प्रभावित राज्यों के किसानों के कर्ज माफ कर फौरन राहत पहुंचाई जा सकती है। सूखे पर 4 घंटे की अल्पकालीन बहस के जवाब में राधामोहन सिंह ने औसत से अधिक मानसून की भविष्वाणी पर भरोसा जताया। 
 
उन्होंने सरकार की ओर से उठाए कदमों का ब्यौरा पेश किया। लेकिन उनमें सूखे की मार झेल रहे राज्यों के दौरान निदान के लिए ठोस उपाय का खास जिक्र नहीं था। कृषि मंत्री के मुताबिक केंद्र ने सभी प्रभावित राज्यों को 600 दिनों का कंटिजेंसी प्लान भेज दिया था। उमा भारती ने जल संकट के समाधान के लिए नदियों को जोडऩे के पुराने कार्यक्रमों का हवाला देते हुए पीएम के विजन व उनके गुजरात मॉडल की तारीफ करते हुए अपना जवाब पूरा किया। उन्होंने कहा कि मोदी की अगुवाई में नदियों को जोडऩे और जल संरक्षण को जन आंदोलन में बदल सरकार इसके समाधान की व्यापक योजना पर काम कर रही है।
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