मदरसों के पाठ्यक्रम ढांचे से ‘छेड़छाड़’ करने का कोई इरादा नहीं: सरकार

Sunday, Nov 05, 2017 - 12:55 PM (IST)

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसों में एनसीईआरटी की किताबें लागू किये जाने के इरादे के मद्देनजर उठ रही आशंकाओं पर विराम लगाने की कोशिश करते हुए कहा है कि इन शिक्षण संस्थाओं के पाठ्यक्रम में बदलाव के पीछे उसका कोई गलत इरादा नहीं है। वह सिर्फ उन्हें दकियानूसी शिक्षा प्रणाली से मुक्त कराना चाहती है। प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार का मदरसों के पाठ्यक्रम के ढांचे में बदलाव लाकर उससे ‘छेड़छाड़’ करने का कोई इरादा नहीं है। हालांकि यह भी एक तथ्य है कि दकियानूसी शिक्षा प्रणाली से किसी व्यक्ति, राज्य या देश का विकास नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि आज के प्रौद्योगिकी के जमाने में मदरसों से कोई इंजीनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक या सरकारी अधिकारी नहीं निकल पा रहे हैं। सरकार बस यह सूरत बदलना चाहती है। उसका इरादा है कि मदरसों में रोजगारपरक तथा तकनीकी शिक्षा उपलब्ध करायी जाए। चौधरी ने कहा कि इस समय मदरसों के पाठ्यक्रम में इतिहास और संस्कृति के बारे में पर्याप्त सामग्री उपलब्ध नहीं है। सरकार इस पाठ्यक्रम में इतिहास, भूगोल और संस्कृत को अतिरिक्त विषयों के रूप में जोडऩे की योजना बना रही है। यह पाठ्यक्रम अगले शैक्षणिक सत्र से लागू होगा।

मालूम हो कि प्रदेश में 19 हजार से ज्यादा मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। चौधरी ने कहा कि मदरसों के पाठ्यक्रम में एनसीईआरटी और यूपी बोर्ड की किताबें शामिल की जाएंगी। हालांकि अभी यह सिर्फ योजना के स्तर पर है। एनसीईआरटी की किताबें उर्दू में भी हैं और उनमें से कई तो बाजार में उपलब्ध हैं। सरकार का मुख्य उद्देश्य मदरसों की शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली से जोडऩा है। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने पिछले दिनों कहा था कि मदरसों में अब एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई होगी। इन संस्थानों में अब आधुनिक विषय पढ़ाए जाएंगे, जिससे उनमें पढऩे वाले बच्चे अन्य स्कूलों के विद्याॢथयों से बराबरी कर सकें। 

उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार राहुल गुप्ता ने इस बारे में पूछे जाने पर बताया कि पाठ्यक्रम की समीक्षा की बात चल रही है। हालांकि अभी यह शुरुआती चरण में है। मदरसा बोर्ड सभी कक्षाओं में नया पाठ्यक्रम लाने पर विचार कर रहा है। एनसीईआरटी की किताबों से शिक्षा दिलायी जाएगी।  उन्होंने बताया कि मौजूदा पाठ्यक्रम के दो भाग होते हैं। एक दीनी पाठ्यक्रम होता है, जो पहले की तरह ही रहेगा। बोर्ड व्यावहारिक शिक्षा के पाठ्यक्रम को बदलने की तैयारी कर रहा है। इसमें समय की मांग को लेकर पाठ्यक्रम में परिवर्तन किया जाएगा। नये पाठ्यक्रम में आधुनिक विषयों को भी जोड़ा जाएगा।पाठ्यक्रम में तब्दीली की क्या जरूरत थी, इस सवाल पर गुप्ता ने कहा कि अभी तक मदरसों में पढ़ाये जाने वाले हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान इत्यादि के पाठ्यक्रम सुव्यवस्थित नहीं हैं। टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया उत्तर प्रदेश ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। संगठन के महामंत्री दीवान साहब जमां ने कहा कि सरकार अगर दीनी पाठ्यक्रम को छोड़कर बाकी पाठ्यक्रम में वक्त के हिसाब से बदलाव करती है तो यह अच्छी बात है।

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