गंगा दशहरा आज, वाराणसी में हजारों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

Sunday, Jun 04, 2017 - 01:19 PM (IST)

हरिद्वार: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है इस दिन गंगा में स्नान करने से मनुष्य 10 प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है। मनुस्मृति के अनुसार मनुष्य के 10 प्रकार के पापों में 3 तरह के मानसिक, 3 प्रकार के वाचिक तथा 4 प्रकार के कायिक पाप होते हैं एवं विद्वानों ने सभी लोगों को गंगा दशहरा पर्व पर गंगा स्नान करने की सलाह दी है। इसी पावन पर्व पर आज वाराणसी में हजारों श्रद्धालुअों ने डूबकी लगाई। वाराणसी के दशाश्वमेघ घाट पर समूचे भारत से आए हुए गंगा भक्तों ने सुबह की पहली किरण के साथ जहां डुबकी लगाई और अपने साथ लाए आस्था के फूल पतित पावनी मां गंगा को अर्पित किए।

ऐसे हुआ था मां गंगा का धरती पर अवतरण
शास्त्रों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमीं को गंगा हिमालय से निकलकर धरती पर आई थी। राजा सगर के एक हजार पुत्रों की आत्मा की शांति के लिए राजा दिलीप के पुत्र भागीरथ ने उत्तम व्रत का अनुष्ठान किया तथा नदियों में श्रेष्ठ गंगा धरती पर आई। धरती पर आने पर सबसे पहला विश्राम गंगा ने हरिद्वार में किया जो आज भी ब्रह्मकुण्ड के नाम से प्रसिद्घ है। वहां ब्रह्मा जी की पूजा की जाती है। 

10 डुबकियां लगाने से धुलता है जन्मों का मैल
पुराणों में कहा गया है कि गंगा दशहरा पर गंगा में 10 डुबकियां लगाने से मन, तन और कर्म की सभी कलुषित प्रवृत्तियां व्यक्ति के भीतर से निकल जाती है। इसी को मैल का धुलना कहते है। परम्परा के अनुसार, गंगा दशहरा में मां गंगा को 10 पुष्प, दशांग धूप, 10 दीपक, 10 फल तथा 10 प्रकार के नैवेद्य अर्पित किए जाते है।

कष्टों से मिलती है मुक्ति
इस दिन काला तिल, छाता, चावल मिष्टान का दान करना चाहिए। गंगा में खड़े होकर 11 फेरी करने से व्यक्ति का जीवन खुशहाल बनता है। 
इस दिन 10 वस्तुओं का दान करना चाहिए। दस अंक का आज के दिन अधिक महत्व होता है, इससे अधिक फल की प्राप्ति होती है।
यदि कोई लंबी रोग से ग्रसित है अौर सभी इलाज करने के बाद भी आराम नहीं मिल रहा है तो स्नान करने के बाद बाबा विश्व नाथ को जल अर्पित करने के बाद ठीक होने की प्रार्थना करें। 
गंगा में खड़े होकर गंगा स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। 

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