लखनऊ मेट्रो को PIB का ग्रीन सिग्रल, अब रफ्तार पकड़ेगा मेट्रो प्रोजैक्ट

Thursday, Aug 06, 2015 - 03:59 PM (IST)

लखनऊ: लखनऊ मेट्रो को लेकर चल रही अड़चने खत्म हो गई हैं। गुरुवार को दिल्ली में हुई प्रोजेक्ट इंवेस्टमेंट बोर्ड (पीआईबी) की मीटिंग के बाद लखनऊ मेट्रो प्रोजेक्ट को क्लीयरेंस दे दी गई है। दिल्ली से यूपी के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने फोन पर बताया कि पीआईबी से मंजूरी मिलने के बाद अब आगे की प्रक्रिया में केंद्र सरकार कैबिनेट से इस प्रोजेक्ट को पास कराएगी। इसके बाद विदेशी एजेंसियों की फंडिंग आसान हो जाएगी। फिर प्रोजेक्ट में कोई बाधा नहीं आएगी। केंद्र सरकार लखनऊ मेट्रो को 1300 करोड़ रुपए देगी और यूपी सरकार 3900 करोड़ लखनऊ मेट्रो में खर्च करेगी। राज्य सरकार 3500 करोड़ रुपए का लोन भी ले सकेगी।
 
पीआईबी की मंजूरी के बाद अब लखनऊ में नार्थ-साउथ मेट्रो कारिडोर का निर्माण तेजी से होगा। इसकी मंजूरी लखनऊ मेट्रो के प्रोजेक्ट में एक बड़ा कदम है। लखनऊ में मेट्रो के प्रोजेक्ट के लिए केंद्र तथा उत्तर प्रदेश सरकार 1300-1300 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च कर रहे हैं। एक कारिडोर 22 किलोमीटर का है। पीआईबी की मंजूरी के बाद अब लखनऊ मेट्रो प्रोजेक्ट में यूरोपियन इनवेस्टमेंट बोर्ड 3500 करोड़ रुपये की धनराशि लगाने को तैयार है। लखनऊ मेट्रो का पूरा प्रोजेक्ट 6800 करोड़ रुपये का है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का लक्ष्य 2017 के चुनाव से पहले लखनऊ में मेट्रो को चलाने का है।
 
क्‍यों जरूरी है पीआईबी की मंजूरी
दरअसल, इस समय मेट्रो को पीआईबी की मंजूरी की इसलिए ज्यादा जरूरत है, क्योंकि मेट्रो के कई प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिनकी फंडिग विदेशी एजेंसीज कर रही है। विदेशी एजेंसीज तभी इन टेंडर्स को हरी झंडी दिखाएंगी, जब पीआईबी की मंजूरी मेट्रो को मिल जाएगी। मेट्रो को करीब तीन हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की फंडिग एफएडी और ईआईबी कर रही है। हालांकि, अभी तक पीआईबी से मंजूरी नहीं मिल पाई है। पीआईबी से मंजूरी न मिलने की वजह से उसके कई काम अटके पड़े हैं। विदेशी फंडिग से करीब 3500 करोड़ रुपए मेट्रो को मिलने हैं।
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