सहारनपुर में होगी अखिलेश राहुल की दोस्ती की असली परीक्षा

punjabkesari.in Friday, Feb 10, 2017 - 11:26 AM (IST)

बृजेश सिंह
उत्तर प्रदेश में जगह लगी होर्डिंग्स में राहुल गांधी तथा अखिलेश यादव की तस्वीर के साथ स्लोगन, यूपी को ये साथ पसंद है, की असली परीक्षा सहारनपुर में होगी। नई नई दोस्ती की खातिर अखिलेश जिले की 7 विधानसभा सीटों में से पांच सीटें कांग्रेस को दे दी हैं। क्या अखिलेश की दोस्ती की खातिर आम सपा समर्थक कांग्रेस के साथ जायेगा।

कांग्रेस का यहां से 5 सीट मांगना तथा सपा का इसके लिए आसानी से सहमत हो जाना दोनों ही मौजूं है। सहारनपुर में कम से कम 3 सीटें बेहट, हरोडा तथा रामपुर मनिहारन ऐसी हैं जहां दलित व मुस्लिम वोट फैक्टर प्रभावी। 2012 में लहर के बावजूद सपा को यहां हार का मुंह देखना पड़ा था। इस बार सपा इन सीटों पर खुद न लड़कर कांग्रेस को समर्थन दे रही है। इसके अलावा दो और सीटें नकुड़ और गंगोह सीट भी कांग्रेस को मिली है। जिले की सिर्फ दो सीटें सिटी तथा देवबंद सपा के पास है।

प्रदेश के दूसरे जिलों की तरह ही सहारनपुर में भी कांग्रेस का कोई मजबूत संगठन या जनाधार नहीं है। फिर भी वह जिले के अति विवादित व स्वयंभू रॉबिनहुड इमरान मसूद तथा समाजवादी दोस्ती के भरोसे मैदान में है। समाजवादियों को यह दोस्ती कितनी पसंद आयी इसका सही जानकारी तो चुनाव परिणामों के बाद ही पता चलेगा। अलबत्ता गंगोह सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी को सपा के इंद्रसेन गूजर से ही कड़ी चुनौती मिल रही है। 

यद्यपि इंद्रसेन को सपा से नाम वापस नहीं लेने पर पार्टी से निकल दिया गया है लेकिन वे साइकिल चुनाव चिन्ह से ही लड़ रहे हैं। जब तक कांग्रेस से समझौता का फैसला हुआ इंद्रसेन सपा के टिकट पर परचा दाखिल कर चुके थे। आलाकमान के निर्देश पर भी वे नाम वापस लेने को तैयार नहीं हुए।

रसीद मसूद कांग्रेस के टिकट पर नकुड़ सीट से मैदान में हैं लेकिन चर्चा है कि गंगोह में सपा से विद्रोह कर चुनाव लड़ रहे इंद्रसेन का वे समर्थन भी कर रहे हैं। इसी तरह अन्य सीटों पर भी कांग्रेस व सपा की दोस्ती के कई दुश्मन हैं।


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