सामाजिक न्याय दिलाने को प्रयासरत हैं अधिवक्ता मनोज, कमजोर वर्ग को देते हैं मुफ्त कानूनी सहायता

Saturday, Jan 26, 2019 - 06:08 PM (IST)

बांदा (उत्तर प्रदेश) (मीनू शर्मा) : हमारे देश के संविधान में धर्म निरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक गणराज्य की नींव रखी गई थी जिसमें न्याय को मुख्य आधारशिला माना गया है। यह न्याय चाहे सामाजिक, आॢथक अथवा राजनीतिक किसी भी क्षेत्र में हो सकता है। इन्हीं बातों को चरितार्थ करते हुए कुछ ऐसे व्यक्ति भी हैं, जिनकी देश के प्रति अटूट निष्ठा दिखाई पड़ती है।

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के एक वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज दीक्षित है। उन्होंने समाज के पिछड़े वर्गों एवं असहाय लोगों को न्याय दिलाने का बीड़ा उठाया है। मनोज दीक्षित ऐसे लोगों के केसों को नि:शुल्क लड़ते हैं और केस में लगने वाले अन्य खर्चों को भी खुद ही वहन करते हैं। नागरिकों को सामाजिक न्याय देने के प्रति उनकी सोच अन्यों को भी इस तरह के काम करने के लिए प्रेरित करती है।

मनोज दीक्षित ने अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों के लिए भी बहुत काम किया।  मुस्लिम समुदाय की एक महिला को उसके पति ने छोड़ दिया था जिसे न कोई खर्चा दिया जा रहा था तथा न ही उसके भरण-पोषण का कोई प्रबंध किया गया था। मनोज ने अपने खर्च पर मुस्लिम बच्चों को उस स्कूल में दाखिला दिलवाया जहां उन्हें कोई दाखिल करने को तैयार नहीं था और उनकी मां के केस फाइनल होने तक उनका सारा खर्च भी उठाया।

अंतत: उस महिला के पति ने कोर्ट के माध्यम से खर्च देना प्रारंभ कर दिया है। उनके द्वारा मुस्लिम समुदाय अथवा दलितों के लिए किए गए कार्यों के लिए उन्हें बहुत बार सार्वजनिक तौर पर विरोध भी झेलना पड़ा है परन्तु अब धीरे-धीरे स्थानीय लोग और उनके साथी वकील उनकी इस सजग सोच को समझ रहे हैं और धीरे-धीरे लोगों की धारणा बदल रही है। 

मनोज ने एक अलग ही उदाहरण पेश करते हुए एक ऐसे डकैत का मुकद्दमा भी नि:शुल्क लडऩे का निर्णय दिया है जो अब गलत रास्ते को छोड़ कर समाज की  मुख्यधारा में आना चाहता है।  अभी वह जेल में है और वह अपना जीवन सुधारना चाहता है। मनोज दीक्षित उसका केस भी नि:शुल्क लड़ रहे हैं। 

Yaspal

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